सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीररायटर्स

फेसबुक के एक वायरल वीडियो की मदद से 78 वर्षीय एक व्यक्ति चार दशक से भी ज्यादा समय के बाद अपने परिवार से फिर से मिल सका. मीडिया में आई खबर के मुताबिक वह एक कारोबारी दौरे के दौरान लापता हो गया था.

'डेली स्टार' की खबर के मुताबिक सिलहट के बजग्राम में रहने वाले हबीबुर रहमान जब 30 साल के थे तब एक कारोबारी दौरे के सिलसिले में घर से निकले थे. उनके गायब होने के करीब 48 साल बाद उनके परिवार को वह शहर के एमएजो उस्मानी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मिले.

उनके बारे में तब पता चला जब अमेरिका में रहने वाली उनकी सबसे बड़ी बहू 17 जनवरी को फेसबुक पर एक वीडियो देख रही थी जिसमें एक व्यक्ति अपने बगल में मौजूद मरीज के लिए आर्थिक मदद मांग रहा था. उसे कुछ संदेह हुआ और उसने यह वीडियो अपने पति से साझा किया. महिला के पति ने सिलहट में अपने भाइयों को यह वीडियो भेजा और मरीज के बारे में पता करने को कहा. खबर में कहा गया कि अगली सुबह उसके भाई शहाबुद्दीन और जलालुद्दीन ने इस बात की पुष्टि की कि वीडियो में नजर आ रहा मरीज उनके पिता हैं.

रहमान का सरियों व सीमेंट का कारोबार था, उनके चार बेटे थे. उनकी पत्नी का 2000 में निधन हो गया था. जलालुद्दीन ने कहा, ''मुझे याद है कि मेरी मां और रिश्तेदारों ने सालों तक उनकी तलाश की, लेकिन अंतत: उम्मीद छोड़ दी. बाद में 2000 में मेरी मां का इंतकाल हो गया.''

रहमान बीते 25 सालों से सिलहट के मौलवीबाजार इलाके में रह रहे थे जहां रजिया बेगम नाम की एक महिला उनकी देखभाल करती थी. खबर के मुताबिक बेगम ने बताया कि उनके परिवार के सदस्यों को रहमान 1995 में हजरत शहाबुद्दीन दरगाह में मिले थे.

उन्होंने उस समय अपने बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी. उन्होंने कहा, ''वह अपने बारे में कहते थे कि वह कहीं ठहरते नहीं है. वह तभी से हमारे साथ रह रहे थे. हम उनका सम्मान करते हैं और उन्हें पीर कहते हैं.''

बेगम ने कहा कि रहमान बढ़ती उम्र संबंधित परेशानियों से ग्रस्त थे और कुछ दिन पहले पलंग से गिरने की वजह से उनका हाथ टूट गया था. खबर के मुताबिक डॉक्टरों ने कहा कि रहमान का ऑपरेशन करना पड़ेगा क्योंकि उनके हाथ में संक्रमण हो गया है, लेकिन उनके पास इलाज के लिये इतना पैसा नहीं है.

खबर में उन्होंने बताया कि अस्पताल के एक मरीज ने उनकी स्थिति बयान करने के लिये यह वीडियो बनाया और आर्थिक मदद मांगी.

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.