पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को गुरुवार, 8 अगस्त को देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी मौजूद थे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रणब मुखर्जी को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया.
हालांकि इस दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी, उनकी बहन प्रियंका गांधी और यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी की गैरमौजूदगी ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा और इसको लेकर राजनीतिक हलकों में अटकलों का बाजार गर्म है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक राहुल गांधी को राष्ट्रपति भवन द्वारा समारोह के लिए आमंत्रित किया गया था लेकिन उनकी गैरमौजूदगी के कारण के बारे में कुछ पता नहीं चल पाया.
राहुल गांधी और सोनिया गांधी के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इस समारोह में नहीं दिखाई दिए. जबकि कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, अहमद पटेल, भूपेंदर सिंह हूडा, जनार्दन द्विवेदी, आरपीएन सिंह, सुष्मिता देव और शशि थरूर ने राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में शामिल हुए.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अलावा राष्ट्रपति कोविंद ने भूपेन हजारिका का पुरस्कार उनके बेटे तेज हजारिका को दिया. वहीं, नानाजी देशमुख का अवार्ड दीनदयान रिसर्च इंस्टीट्यूट के चेयरमैन वीरेंद्रजीत सिंह ने प्राप्त किया. भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख को मरणोपरांत यह पुरस्कार मिला है.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी देश के 2012-2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति रहे है. उससे पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता में शुमार रहे है. कांग्रेस सरकार के दौरान विभिन्न महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को बखूबी संभाल चुके है. इसलिए जब पीएम मोदी ने प्रणव दा को भी भारत रत्न देने की घोषणा की तो लोगों को आश्चर्य हुआ.
मालूम हो कि भारत रत्न सम्मान का ऐलान गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी को किया गया था. भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है. इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है. इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी. पहला भारत रत्न डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को दिया गया था.