गृह मंत्री अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाहTwitter / @ANI

गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को स्पष्ट किया है कि गैर कानूनी तरीके से भारत में आये अन्य देशों के नागरिकों की पहचान के लिये देशव्यापी स्तर पर राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) बनाने की प्रक्रिया शुरू होने पर इसे असम में भी दोहराया जायेगा। उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म विशेष के लोगों को इसके कारण डरने की जरूरत नहीं है। यह एक प्रक्रिया है जिससे देश के सभी नागरिक एनआरसी लिस्ट में शामिल हो सकें।

शाह ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एनआरसी में छह गैर मुस्लिम धर्मों के शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने से जुड़े एक सवाल के जवाब में स्पष्ट किया कि सरकार चाहती है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश में प्रताड़ना के शिकार होकर भारत आये हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन पारसी और इसाई धर्म के शरणार्थियों को नागरिकता दी जाये। इसके लिये सरकार नागरिकता कानून में संशोधन करेगी।

उन्होंने स्पष्ट किया कि पिछली लोकसभा से पारित किये जा चुके नागरिकता संशोधन विधेयक को असम के लिये बनाये गये एनआरसी कानून से भ्रमित न किया जाये।

शाह ने कहा कि एनआरसी में धार्मिक आधार पर नागरिकों की पहचान का कोई प्रावधान नहीं है। इसमें सभी धर्मों के लोगों को शामिल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि पिछली लोकसभा में पारित नागरिकता संशोधन विधेयक में सभी दलों की सहमति से शरणार्थियों को धार्मिक आधार पर नागरिकता देने के प्रावधान शामिल किये गये थे।

उल्लेखनीय है कि 16वीं लोकसभा भंग होने के कारण इससे संबंधित विधेयक निष्प्रभावी हो गया था। सरकार अब नये सिरे से नागरिकता संशोधन विधेयक को मंत्रिमंडल की मंजूरी प्राप्त करने के बाद संसद में पेश करेगी।

शाह ने कहा कि असम में गैरकानूनी शरणार्थियों की समस्या से निपटने के लिये उच्चतम न्यायालय के आदेश पर एनआरसी कानून बना कर लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि बाद में एनआरसी को पूरे देश में लागू किया जायेगा, उस समय भी असम को इसमें स्वाभाविक तौर पर शामिल किया जायेगा।

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असम में एनआरसी से बाहर किये गये 19.6 लाख लोगों की अपील पर अभी तक न्यायाधिकरण में सुनवाई नहीं होने के पूरक प्रश्न के जवाब में शाह ने कहा, ''ऐसे सभी लोगों को ट्रिब्यूनल में जाने का अधिकार है जिनके नाम एनआरसी में छूट गये हैं। ट्रिब्यूनल में अपील दायर करने की सुविधा असम की हर तहसील में मुहैया करायी जाएगी और राज्य सरकार निर्धन तबके के लोगों को विधिक सहायता भी उपलब्ध करायेगी।'

बता दें कि सैयद नासिर हुसैन ने राज्यसभा में कोलकाता में दिए अमित शाह के बयान के आधार पर सवाल पूछा था। कांग्रेस सांसद ने कहा, 'मैं सिर्फ होम मिनिस्टर से जानना चाहता हूं कि आपने कोलकाता में कहा था कुछ 5-6 धर्म के लोगों का नाम लिया था और मुसलमान का नाम नहीं लिया था। आपने कहा था कि इन सभी धर्म के लोगों को नागरिकता मिलेगी भले ही वह इललीगल तरीके से ही रह रहे हों। इसके कारण मुसलमानों के अंदर असुरक्षा की भावना आई। नागरिकता विधेयक और एनआरसी अलग प्रक्रिया हैं, यह जानता हूं।'

इसके जवाब में केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, 'हिंदू, बुद्ध, सिख, जैन, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी। इसके लिए सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल अलग से है ताकि इन शरणार्थियों को नागरिकता मिल सके। इन्हें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर भेदभाव का शिकार होना पड़ा था।'

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.