21 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले मतदान के संबंध में मुंबई में संवाददाता सम्मेलन करने गईं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को बृहस्पतिवार को सहकारी बैंक पीएमसी बैंक के उपभोक्ताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ा। बाद में उन्होंने संवादाता सम्मेलन में एक ऐसी समिति बनाने की घोषणा की जो सहकारी बैंकों की संचालन व्यवस्था में सुधार के सुझाव देगी।
वित्त मंत्री ने मुंबई में भाजपा कार्यालय के बाहर बैंक के ग्राहकों से मुलाकात की। उन्होंने बाद में संवाददाता सम्मेलन में सहकारी बैंकों का कामकाज बेहतर बनाने के लिए विधायी सुझाव देने वाली समिति के गठन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यहि जरूरी समझा गया तो सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में सहकारी बैंकों के नियमन में संशोधन का विधेयक लेकर आएगी।
Finance Minister Nirmala Sitharaman: With these objectives this group will be working. So that if necessary, in the forthcoming Winter Session of the Parliament itself we will be bringing in any regulation, any amendments which may be necessitated. https://t.co/Q3JBL2Itrg
— ANI (@ANI) 10 October 2019
पंजाब एंड महाराष्ट्र सहकारी बैंक (पीएमसी) में 4,500 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक से लोगों के निकासी पर कुछ पाबंदियां लगा दी हैं। इसके चलते बैंक के ग्राहकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सीतारमण ने कहा कि वित्तीय सेवा विभाग तथा आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव जल्दी ही रिजर्व बैंक के एक डिप्टी गवर्नर से मुलाकात करेंगे और बहुराज्यीय सहकारी बैंकों की कार्यप्रणाली में खामियों पर चर्चा करेंगे। वे देखेंगे कि क्या कानूनों में बदलाव की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक मामलों, वित्तीय सेवाओं, ग्रामीण मामलों, शहरी विकास मंत्रालय के सचिवों और रिजर्व बैंक के एक डिप्टी गवर्नर को मिलाकर एक समिति गठित की जाएगी, जो कानून में बदलाव के सुझाव देगी।
सीतारमण ने कहा, ''वे इस तरह की घटनाओं के दोहराव को रोकने तथा नियामक को मजबूती देने के लिये आवश्यक विधायी कदमों पर चर्चा करेंगे।''
उन्होंने कहा कि वह यह मानकर नहीं चल रही हैं कि मौजूदा कानून में कोई खामी है लेकिन समिति इसका अध्ययन करेगी और यदि आवश्यक हुआ तो संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में जरूरत के अनुरूप संशोधन लेकर आएगी। सहकारी बैंकों के साथ कई चिंताएं जुड़ी हैं।
राजनेता या अन्य प्रभावशाली लोग बैंकिंग नियमों को धता बताकर फंसे कर्ज का बोझ बढ़ाते हैं और खाताधारकों की मेहनत से जमा की गयी पूंजी को खतरे में डाल देते हैं। पिछले दो दशकों में कई सहकारी बैंक विफल रहे हैं और पीएमसी बैंक ऐसे सबसे बड़े बैंकों में से एक है।
घोटाले के सामने आने के बाद पिछले महीने रिजर्व बैंक ने पीएमसी ग्राहकों को सिर्फ 1,000 रुपये तक निकासी करने की छूट दी थी जिसे बाद में विरोध के चलते बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दिया गया। बैंक ने लगभग दिवालिया हो चुकी एचडीआईएल को कथित तौर पर अपने संपूर्ण ऋण वितरण का 70 प्रतिशत ऋण के रूप में दिया था।
सीतारमण 21 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले मतदान के संबंध में यहां संवाददाता सम्मेलन करने वाली थीं। इसकी सूचना पाकर पीएमसी के नाराज उपभोक्ता भाजपा कार्यालय के बाहर जमा हो गये।
सीतारमण ने कहा कहा कि वह पीएमसी के उपभोक्ताओं के हितों के बारे में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास से बातचीत करेंगी तथा उन्हें उपभोक्ताओं की दिक्कतों से अवगत कराएंगी।
सीतारमण ने पीएमसी के नाराज उपभोक्ताओं से कहा कि रिजर्व बैंक मामले को देख रहा है।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।