भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रक्षा सौदों को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला बोला है. पीएम मोदी ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए सवाल उठाया कि जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तब नामदार (राहुल गांधी) के एक बिजनेस पार्टनर को कैसे रक्षा सौदों में शामिल किया गया था.
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के नामदार किसानों की जमीन को ट्रस्ट के नाम पर कब्जा करते हैं और फिर उसको हड़प लेते हैं. इससे आगे उन्होंने कहा, 'आज सुबह ही मैं पढ़ रहा था कि जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तब नामदार (राहुल गांधी) के एक बिजनेस पार्टनर को कैसे रक्षा सौदों में शामिल किया गया था. सरकार भी अपनी, दोस्त भी अपना और रक्षा सौदा भी बड़ा यानी नामदार के लिए मलाई का पूरा इंतजाम था'.
पीएम मोदी ने कहा कि मीडिया में आई यह रिपोर्ट बहुत से सवाल खड़े कर रही है और इन लोगों ने कैसे देश को लूटा है इसका खुलासा कर रही है. पीएम मोदी ने राहुल गांधी की सफाई पर भी टिप्पणी की. राहुल के जांच कराने वाले बयान पर पीएम मोदी ने कहा कि मीडिया में जांच की बात कहते हैं लेकिन जब इनके यहां नोटिस भेजे जाते हैं तो जवाब नहीं देते हैं, क्योंकि ये अपनी सरकार का इंतजार करते रहते हैं.
इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मीडिया में आई एक खबर का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर संप्रग शासन के दौरान हुए रक्षा सौदे को लेकर निशाना साधा था. इस खबर में दावा किया गया है कि राहुल गांधी के एक कथित कारोबारी साझेदार को इस सौदे में ऑफसेट करार मिला था. एक पत्रिका के अनुसार ब्रिटेन की एक कंपनी के सह-प्रमोटर को उस वक्त फ्रांस की कंपनी के ऑफसेट साझेदार के तौर पर रक्षा करार हासिल हुआ था जब कांग्रेस नीत संप्रग सत्ता में थी. इस कंपनी के बड़े हिस्से पर गांधी का स्वामित्व था.
शाह ने इस खबर को टैग करते हुए ट्वीट किया, "राहुल गांधी के 'मिडास टच' के साथ कोई भी सौदा बहुत ज्यादा नहीं है. जब वह सत्ता में थे, उनके कारोबारी साझेदार फायदा उठा रहे थे. इससे फर्क नहीं पड़ता कि भारत को इसका परिणाम भुगतना पड़े."
मिडास टच आसानी से लाभ कमाने की काबिलियत के लिए उपयुक्त होने वाला विशेषण है. खबर में दावा किया गया कि राहुल गांधी के पुराने कारोबारी साझेदार से जुड़ी सहायक कंपनियों को फ्रांस की एक कंपनी से 2011 में ऑफसेट साझेदार के तौर पर रक्षा करार हासिल हुआ था.
आरोप है कि राहुल गांधी के पूर्व बिजनेस पार्टनर और उनकी बाद में बनाई गई कंपनियों को फ्रांस की रक्षा कंपनी द्वारा दिए गए ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट के जरिए फायदा पहुंचाया गया. साल 2011 में ऑफसेट दायित्व के तहत फ्रांस की नेवल ग्रुप (पहले इसको डीसीएनएस के नाम से जाना जाता था) ने विशाखापत्तनम स्थित कंपनी फ्लैश फोर्ज प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक डील साइन की.
यह डील स्कॉर्पीन सबमरीन के अहम कलपुर्जों की सप्लाई करने के लिए की गई थी. इन स्कॉर्पीन सबमरीन का निर्माण मुंबई के मजगों डॉक लिमिटेड (एमडीएल) में किया जा रहा था. फ्रांस की कंपनी नेवल ग्रुप को एमडीएल के साथ मिलकर 6 स्कॉर्पीन सबमरीन बनाने की डील मिली थी. यह डील करीब 20 हजार करोड़ रुपये की थी.
साल 2011 में भारतीय कंपनी फ्लैश फोर्ज ने ब्रिटेन की ऑप्टिकल आर्मर्ड लिमिटेड का अधिग्रहण किया. इसके बाद अगले साल नंबर 2012 में फ्लैश फोर्ज कंपनी के दो डायरेक्टरों को ऑप्टिकल आर्मर्ड लिमिटेड में डायरेक्टरशिप दे दी गई थी. 8 नवंबर 2012 को इन दोनों ने डायरेक्टरशिप का भार संभाल लिया. इसके साथ ही यूलरिक मैकनाइट को भी ऑप्टिकल आर्मर्ड लिमिटेड का डायरेक्टर बना दिया गया. इतना ही नहीं, साल 2014 में ऑप्टिकल आर्मर्ड लिमिटेड द्वारा दाखिल रिटर्न के मुताबिक कंपनी ने यूलरिक मैकनाइट को 4.9 फीसदी शेयर भी अलॉट कर दिया था.
इसके बाद साल 2013 में फ्लैश फोर्ज ने ब्रिटेन की एक दूसरी कंपनी 'कंपोजिट रेसिन डेवलपमेंट लिमिटेड' का अधिग्रहण कर लिया. इसके बाद यूलरिक मैकनाइट को इस दूसरी कंपनी का भी डायरेक्टर बना दिया गया. मैकनाइट के साथ फ्लैश फोर्ज लिमिटेड के दो डायरेक्टर को भी 'कंपोजिट रेसिन डेवलपमेंट लिमिटेड' का डायरेक्टर बनाया गया.
फ्रांस की कंपनी नेवल ग्रुप की वेबसाइट्स ने फ्लैश फोर्ज और सीएफएफ फ्लूइड कंट्रोल प्राइवेट लिमिटेड को भारतीय पार्टनर बताया है. सीएफएफ फ्लूइड कंट्रोल प्राइवेट लिमिटेड फ्लैश फोर्ज और फ्रांसीसी कंपनी कोयार्ड का ज्वाइंट वेंचर है. वहीं, अभी तक इस संबंध में मैकनाइट से किसी तरह का कोई संपर्क नहीं हो पाया है.
इसके अलावा फ्रांस की कंपनी नेवल ग्रुप द्वारा फ्लैश फोर्ज से कॉन्ट्रैक्ट करने से पहले राहुल गांधी की भारतीय और यूरोपीय कंपनियां बंद कर दी गई थीं. हालांकि इन सबके बीच राहुल गांधी के पूर्व बिजनेस पार्टनर यूलरिक मैकनाइट को यूरोपीय कंपनियों के जरिए फायदा पहुंचाया गया.
जबकि राहुल गांधी ने जांच की चुनौती देते हुए कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है. बता दें कि राहुल गांधी के बिजनेस पार्टनर रहे यूलरिक मैकनाइट को यूपीए सरकार के दौरान ऑफसेट्स डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट के जरिए फायदा पहुंचाए जाने का मामला सामने आया है. यूलरिक मैकनाइट कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ब्रिटिश कंपनी बैकोप्स यूके के को-प्रमोटर थे. जिस वक्त मैकनाइट से जुड़ी कंपनियों को डिफेंस डील मिली, उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी.