कभी-कभी कोई सरकारी अधिकारी या कोई सामान्य सा दिखने वाला आदमी कर्तव्य परायणता और निष्ठा की ऐसी मिसाल कायम कर देता है, जिससे वो समाज के लिए अनुकरणीय बन जाता है. ऐसी ही एक मिसाल कायम की है बजट छपाई से जुड़े डेप्यूटी मैनेजर कुलदीप कुमार शर्मा ने.
कुलदीप शर्मा 26 जनवरी को बजट ड्यूटी पर थे. उसी दिन कुलदीप कुमार शर्मा के पिताजी की मौत हो गई, लेकिन उन्होंने तय किया कि वह अपने पिता की मौत पर घर जाने के बजाए बजट की छपाई के काम में ही लगे रहेंगे. उन्होंने अपने निजी नुकसान को पीछे छोड़ते हुए अपनी ड्यूटी को तरजीह दी.
बता दें, बजट की छपाई बेहद गोपनीय प्रक्रिया है. इसमें लगे लोगों को घर तक जाने की इजाजत नहीं होती है. सारे लोग एक तरह से दुनिया से कट जाते हैं और सिर्फ बजट की छपाई का काम करते हैं. यह सब सिर्फ इसलिए किया जाता है ताकि बजट में क्या होने वाला है, ये लीक ना हो. करीब 10 दिनों तक बजट की छपाई के काम के दौरान इसमें लगे किसी भी व्यक्ति को बाहर जाने की इजाजत नहीं होती है.
कुलदीप शर्मा इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि उनकी ड्यूटी कितनी अहम है और अगर वह अपनी ड्यूटी से हटते हैं तो पूरे देश पर इसका असर पड़ सकता है. यही वजह है कि कुलदीप शर्मा ने अपनी ड्यूटी की गोपनीयता को समझते हुए ये फैसला किया कि वह अपने पिता की मौत पर घर नहीं जाएंगे और बजट की गोपनीय प्रक्रिया पर कोई आंच नहीं आने देंगे.
इस बात की जानकारी खुद वित्त मंत्रालय ने ट्वीट करके दी है. कुलदीप शर्मा के इस जज्बे की खूब तारीफ हो रही है.
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.