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सांकेतिक तस्वीरReuters

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के तीन दिवसीय अमेरिकी दौरे से लौटते ही विश्व बैंक ने पाकिस्तान को एक और झटका दे दिया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व बैंक की रिपोर्ट में आर्थिक प्रबंधन के सभी 31 पैमानों पर पाकिस्तान की रैंकिंग गिर गई है. हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 50 फीसदी से अधिक परिवार गरीबी के कारण दो वक्त की रोटी का जुगाड़ नहीं कर पा रहे हैं. इससे बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं.

बलूचिस्तान और सिंध में बच्चों में कुपोषण की समस्या इस हद तक है कि उनका पूरा विकास नहीं हो रहा है और उनका कद कम रह जा रहा है.

पाकिस्तान के अखबार एक्सप्रेस न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, यह जानकारियां राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण- 2018 के तहत जारी की गई हैं। यह सर्वेक्षण पूरे पाकिस्तान में कराया गया था. इससे पता चला कि देश में पोषण के मामले में हालात चिंताजनक हैं।

सर्वे में कहा गया है कि देश में कुल 40.2 फीसदी बच्चे गंभीर कुपोषण का शिकार हैं और उम्र के हिसाब से उनकी लंबाई कम है. इसकी वजह से इनका शारीरिक व मानसिक विकास बुरी तरह प्रभावित हुआ है और इनकी सीखने की क्षमता पर गंभीर असर पड़ा है. यह सर्वे देश के राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) से संबद्ध मंत्रालय द्वारा कराया गया.

इसमें बताया गया है कि पाकिस्तान के 36.9 फीसदी परिवार खाद्य सुरक्षा से बहुत दूर हैं और खाने-पीने के सामान तक इनकी पहुंच नहीं है और जो सामान मिल भी रहा है, वह इनके पोषण के लिए नाकाफी है.

सर्वेक्षण में देश के चारों सूबों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के 115600 परिवारों को शामिल किया गया. इसमें 145324 महिलाओं, पांच साल से कम उम्र के 76742 बच्चों और दस से उन्नीस साल तक के 145847 किशोरों की जांच की गई.

सर्वे में पाया गया कि पाकिस्तान में केवल 48.4 फीसदी माताएं अपने नवजात शिशुओं को अपना दूध पिलाती हैं. इसमें यह भी कहा गया कि कुपोषण का शिकार माताएं कमजोर बच्चों को जन्म दे रही हैं और इस समस्या पर सबसे अधिक ध्यान देने की जरूरत है.

सर्वेक्षण में पाया गया कि देश में दस में से चार बच्चे ऐसे हैं जिनकी लंबाई उनके उम्र के अनुरूप नहीं है. यह भी पाया गया कि लड़कों की खुराक पर लड़कियों से अधिक ध्यान दिया जाता है.

इस सर्वे का उद्देश्य प्रशासन का ध्यान देश के बच्चों में बढ़ते कुपोषण की तरफ खींचना है. यह देश के इतिहास का सबसे बड़ा सर्वे है जिसमें शहरी और ग्रामीण आबादी, गिलगित-बाल्टीस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों को भी शामिल किया गया है. सर्वे में देश के 115,600 परिवार, 145,324 महिलाओं को शामिल किया गया है. पांच साल से नीचे के 76,742 और 10 से 19 साल के 145,847 किशोरों पर भी यह अध्ययन किया गया है.

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।