जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आत्मघाती हमले में भारतीय जवानों की शहादत का बदला लेते हुए वायुसेना ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए सीमापार के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। सीआरपीएफ के 40 जवानों की जान लेने वाले इस हमले के 12 दिन बाद कार्रवाई करते हुए वायुसेना ने जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को ध्वस्त करते हुए एयर स्ट्राइक की।
न सिर्फ एलओसी पार, बल्कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) को पार करके पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर वायुसेना की एयर स्ट्राइक 5 दशकों में पहली बार हुई है। 1971 के बाद यह पहली बार है जब भारतीय वायुसेना ने नियंत्रण रेखा पार कर हमला किया है। 1999 के कारगिल युद्ध के समय भी भारतीय वायुसेना ने एलओसी के पार जाकर कार्रवाई नहीं की थी।
बताया जा रहा है कि भारतीय वायुसेना के विमान मिराज-2000 जेट ने मंगलवार सुबह 3 बजकर 53 मिनट पर मुजफ्फराबाद से 24 किलोमीटर दूर बालाकोट स्थित जैश के ठिकानों पर पहली स्ट्राइक की। बालाकोट में हमला करना ऐतिहासिक है क्योंकि इस बार वायुसेना ने न सिर्फ एलओसी पार करके बल्कि पीओके को भी पार कर खैबर पख्तूनख्वा में जैश के बालाकोट कैंप में हमला किया।
इसी के साथ करीब 5 दशक बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक की है। इससे पहले 1971 के युद्ध में एयर स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तानी सेना पर कार्रवाई की गई थी। यहां तक कि 1999 के करगिल युद्ध में भी भारतीय वायुसेना ने आतंकी आउटपोस्ट पर बम गिराते वक्त एलओसी पार न करने का खास ध्यान रखा था।
पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में पाकिस्तान सेना द्वारा आम जनता पर हिंसा और उत्पीड़न के बाद 3 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान की वायुसेना ने भारतीय वायुसेना के 12 स्टेशन पर हमला बोल दिया था। इसमें भारत के अमृतसर और आगरा समेत कई शहरों को निशाना बनाया गया था।
इस पर उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को करारा जवाब देने की ठान ली थी। इसी के साथ ही 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की शुरुआत हो गई। यह लड़ाई 14 दिन तक चली थी। इसके बाद 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान की सेना के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने ढाका में आत्मसमर्पण किया था और बांग्लादेश के जन्म के साथ युद्ध का समापन हुआ।
यह भी खास बात है कि 2016 में उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक से केंद्र की वर्तमान मोदी सरकार पहली ऐसी सरकार है जिसने इस तरह की जवाबी कार्रवाई को सार्वजनिक किया है। पूर्व की सरकारों ने भी दुश्मन देशों पर इस तरह की जवाबी कार्रवाई की है लेकिन उसे सावर्जनिक करने से बचती रहीं।