नीतीश कुमार
नीतीश कुमारIANS

जेडीयू महासचिव पवन वर्मा द्वारा सीएए और एनआरसी को लेकर पार्टी लाइन से इतर स्टैंड लेते हुए लंबा पत्र लिखकर जवाब मांगने के कुछ दिनों बाद, पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार ने कहा कि उनके सहयोगी पार्टी छोड़ने और किसी अन्य पार्टी में शामिल होने के लिए स्वतंत्र हैं। बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, "वह अपनी पसंद की किसी भी पार्टी से जुड़ने के लिए स्वतंत्र हैं, उन्हें मेरी शुभकामनाएं हैं।"

गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में, पूर्व राज्यसभा सदस्य ने नीतीश कुमार को एक खुला पत्र लिखा था जिसमें उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा 15 मई से राज्य में एनपीआर लागू करने की घोषणा के बाद राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का विरोध किया गया था।

पवन कुमार वर्मा की चिट्ठी पर पर प्रतिक्रिया देते हुए नीतीश कुमार ने कहा, 'वह किसी भी पार्टी में जा सकते हैं। लेकिन सार्वजनिक रूप से इस तरह के बयान हैरान करने वाले हैं।' नीतीश ने कहा, 'कुछ लोगों के बयान पर मत जाइए, हमारा रुख साफ है। मैं किसी के बयान से प्रभावित नहीं होता हूं।'

उधर, पवन वर्मा ने नीतीश के बयान का स्वागत करते हुए कहा कि वह अपने पत्र के जवाब का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी मंशा किसी को दुख देने की नहीं है।

पवन वर्मा ने कहा, 'मैं नीतीश कुमार के बयान का स्वागत करता हूं कि पार्टी में विचार-विमर्श के लिए जगह है, क्योंकि मैंने इसी की मांग की थी। उन्हें ठेस पहुंचाने का मेरा इरादा कभी नहीं था। मैं चाहता हूं कि वैचारिक स्तर पर पार्टी में स्पष्टता रहे। मेरे खत के जवाब का इंतजार कर रहा हूं, उसके बाद ही आगे का कदम तय करूंगा।'

जेडीयू महासचिव पवन वर्मा
जेडीयू महासचिव पवन वर्माIANS

उन्होंने आगे कहा, 'पार्टी में अलग-अलग राय हो सकती हैं। इसपर चर्चा हो सकती है और मैं यही चाहता हूं। पार्टी छोड़ने की बात पर ये कहूंगा कि ये विकल्प तो सभी के पास है। मैंने सीएए पर उनसे बात की थी लेकिन उन्होंने मेरी राय नहीं मानी। मैंने कहा था कि राज्यसभा में हमें इसका समर्थन नहीं करना चाहिए क्योंकि ये हमारी पार्टी की विचारधारा के खिलाफ है। इसके बाद ही मैंने सार्वजनिक रूप से दो पत्रों के माध्यम से उनसे अपील की थी।'

पवन वर्मा ने जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार को पत्र लिखकर दिल्ली में बीजेपी के साथ गठबंधन पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने पटना हवाई अड्डे पर कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन के मद्देनजर पार्टी द्वारा वैचारिक स्पष्टता की जरूरत है।

नीतीश को लिखे दो पेज के लेटर को ट्विटर पर साझा करते हुए पवन ने कहा था, 'लेटर के माध्यम से मैंने पूछा है कि विभाजनकारी सीएए, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ बड़े पैमाने पर राष्ट्रव्यापी आक्रोश के बावजूद जेडीयू ने दिल्ली चुनाव के लिए बीजेपी के साथ कैसे गठबंधन किया।'

पवन ने कहा था कि नीतीश कुमार ने कहा है कि एनआरसी को बिहार में लागू नहीं किया जाएगा, जबकि उन्होंने माना है कि एनपीआर और सीएए पर और चर्चा किए जाने की जरूरत है।

उन्होंने अपने पत्र का जिक्र करते हुए कहा था, 'वह (नीतीश) विस्तृत बयान दें, जिससे विचारधारा स्पष्ट हो। बीजेपी के साथ लंबे समय से गठबंधन करने वाली पुरानी पार्टी अकाली दल ने इस कानून (सीएए) की वजह से दिल्ली विधानसभा चुनाव में गठबंधन नहीं किया तो जेडीयू के आगे ऐसा करने की क्या जरूरत थी?'

पवन वर्मा ने शालीन भाषा में बेहद तल्ख अंदाज में पत्र लिखा था। उन्होंने नीतीश कुमार को संबोधित करते हुए लिखा था, 'महागठबंधन का नेतृत्व करते हुए आपने आरएसएस मुक्त भारत का नारा दिया था। 2017 में फिर से बीजेपी के साथ जाने के बावजूद भी आप व्यक्तिगत स्तर पर मानते रहे थे कि बीजेपी के विचारों में कोई परिवर्तन नहीं आया है। आपके निजी विचार जो मुझ तक पहुंचे उसमें यही संदेश था कि बीजेपी ने संस्थाओं को नुकसान पहुंचाने का काम किया है।'