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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को छात्रों से कहा कि परीक्षा ही जिंदगी नहीं है और उन्हें पढ़ाई से इतर खेल, कला और संगीत सहित अन्य गतिविधियों में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रत्येक घर में एक कमरा ऐसा होना चाहिए जो तकनीकमुक्त हो और वहां कोई उपकरण (गैजट) नहीं होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने यहां तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित 'परीक्षा पे चर्चा' के तीसरे संस्करण में छात्रों से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें विफलताओं से नहीं डरना चाहिये और नाकामी को जीवन का हिस्सा मानना चाहिये। उन्होंने इस कार्यक्रम में क्रिकेट, चंद्रयान -2 मिशन का भी उदाहरण दिया और अपने अनुभव भी साझा किए। उन्होंने परीक्षा का तनाव और समय प्रबंधन सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वह छात्रों के साथ बिना किसी 'फिल्टर' के खुलकर बातचीत करेंगे। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते कहा कि वे उनके साथ खुल कर चर्चा करें। उन्होंने सोशल मीडिया पर प्रचलित 'हैशटेग' का जिक्र करते हुये कहा कि छात्रों और उनके बीच होने वाली चर्चा 'हैशटेग विदाउट फिल्टर' होगी। इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

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उन्होंने कहा कि नयी प्रौद्योगिकी की जानकारी होनी चाहिए लेकिन इससे जीवन प्रभावित नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विज्ञान और तकनीक में तेजी से बदलाव हो रहा है। इसलिए अपने जीवन में तकनीक का भय नहीं आने देना चाहिए। हमें तकनीक को अपना दोस्त मानना चाहिए और बदलती तकनीक की जानकारी जुटानी चाहिए।

मोदी ने छात्रों से कहा कि उन्हें तकनीक का गुलाम नहीं बनना चाहिए। हमारे अंदर यह भावना होनी चाहिए कि मैं तकनीक का अपनी मर्जी से उपयोग करूंगा। उन्होंने छात्रों से अपील की कि घर में एक ऐसा कमरा होना चाहिए जिसमें तकनीक का प्रवेश वर्जित हो। उसमें सिर्फ अपने परिजनों से बातचीत करने का ही विकल्प हो। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से आप देखेंगे कि कितना लाभ मिलेगा।

उन्होंने समय के सदुपयोग का भी जिक्र किया और एक सवाल के जवाब में कहा, ''स्मार्ट फोन आपका जितना समय चोरी करता है, उसमें से 10 प्रतिशत कम करके आप अपने मां, बाप, दादा, दादी के साथ बिताएं। तकनीक हमें खींचकर अपने पास ले जाए, इससे हमें बचना चाहिए। हमारे अंदर ये भावना होनी चाहिए कि मैं तकनीक का अपनी मर्जी से उपयोग करूंगा।''

उपकरणों के अधिक इस्तेमाल के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, ''परिवार में या अन्यत्र स्थानों पर अधिकतर लोग गैजेट में लीन रहते हैं। मैं खुद को एक निश्चित समय के लिये प्रतिदिन गैजेट से पूरी तरह से अलग रखता हूं।'' प्रधानमंत्री ने कहा, ''छात्रों को विफलता से नहीं डरना चाहिये और नाकामी को जीवन का हिस्सा मानना चाहिये।''

उन्होंने चंद्रयान मिशन की घटना का जिक्र करते हुये कहा कि उनके कुछ सहयोगियों ने चंद्रयान मिशन की लैंडिंग के मौके पर इसरो नहीं जाने की सलाह दी थी, क्योंकि इस अभियान की सफलता की कोई गारंटी नहीं थी। मोदी ने कहा कि इसके बावजूद वह इसरो के मुख्यालय गये और वैज्ञानिकों के बीच में रह कर उनका भरपूर उत्साहवर्धन किया।

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सकारात्मक सोच पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने 2001 में हुयी भारत-ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टेस्ट सीरीज का भी जिक्र किया और कहा कि हमारी क्रिकेट टीम को असफलताओं का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन, उन क्षणों को क्या हम कभी भूल सकते हैं कि राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने क्या किया। उन्होंने मैच का रुख पलट दिया। इसी प्रकार अनिल कुंबले ने एक मैच में घायल होने के बाद भी गेंदबाजी की।

परीक्षा में अंकों के महत्व से जुड़े एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि परीक्षा में अच्छे अंक मिलना ही सब कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि छात्रों को इस सोच से बाहर निकलना चाहिये कि परीक्षा ही सब कुछ है। इस दौरान उन्होंने छात्रों से पढ़ाई से इतर खेल, कला और संगीत सहित अन्य गतिविधियों में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेने की भी अपील की।

मोदी ने कहा कि अभिभावकों को भी अपने बच्चों को वे काम करने देना चाहिये जो वे करना चाहते हों। प्रधानमंत्री ने छात्रों से परीक्षा को बोझ नहीं बनाने का सुझाव देते हुये कहा कि परीक्षा को जिंदगी में बोझ नहीं बनने देना चाहिये। उन्होंने कहा कि छात्र अगर परीक्षा में अपने काम पर ही खुद को केन्द्रित करें तो अनावश्यक तनाव से मुक्ति मिल सकेगी और इससे उनकी कठिनायी बहुत कम हो जाती है।

उन्होंने कहा कि अगर छात्र पढ़ाई से इतर अन्य गतिविधियों में भाग नहीं लेंगे तो रोबोट बन जाएंगे। लेकिन इसके लिए समय के बेहतर प्रबंधन की जरूरत होगी। आज कई अवसर हैं और उन्हें उम्मीद है कि युवा इसका उपयोग करेंगे।

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उन्होंने छात्रों से अपनी पुस्तक 'एक्जाम वॉरियर' को पढ़ने को कहा। मोदी ने कहा कि वह इस पुस्तक को इसलिये पढ़ने के लिये नहीं कह रहे हैं क्योंकि इसे उन्होंने लिखा है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले आप जैसे छात्रों से चर्चा पर ही आधारित है।

मोदी ने छात्रों से जीवन को कुछ करने के सपनों से जोड़ने की अपील करते हुये कहा, ''अगर ऐसा करोगे तो इससे आपको कभी भी परीक्षा का दबाव और तनाव नहीं रहेगा। परीक्षा एक मुकाम है, परीक्षा ही सब कुछ नहीं है। जीवन में आगे जाने का एक मात्र रास्ता परीक्षा ही नहीं है, बल्कि कई अन्य रास्ते भी हैं।''

इस कार्यक्रम में करीब 2,000 छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया। इनमें से 1,050 छात्रों का चयन निबंध प्रतियोगिता के जरिए किया गया।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.