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बिहार की पटना साहिब लोकसभा सीट पर इस बार राज्य की ही नहीं बल्कि पूरे देश की नजर है। यहां से बीजेपी के कद्दावर नेता रविशंकर प्रसाद और कांग्रेस से शत्रुघ्न सिन्हा आमने-सामने हैं। हालांकि, दोनों ही उम्मीदवार एक ही जाति के हैं लेकिन फिर भी स्थानीय मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा इस चुनाव को लालू प्रसाद यादव के प्रभाव और मोदी फैक्टर की साख की कसौटी के रूप में ले रहा है। बता दें कि सिन्हा को महागठबंधन का भी समर्थन प्राप्त है। पटना साहिब में कायस्थ मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है। दोनों उम्मीदवारों के कायस्थ होने की वजह से वोट बंटने की भी संभावना है।

पटना साहिब में चाय की दुकान चलाने वाले संतोष यादव का कहना है कि 'चुनाव में तो ऐसा है कि वोट पड़ने के बाद ही कुछ कह सकते हैं लेकिन इस सीट पर फूल (बीजेपी) मजबूत है। वैसे भी लालू जी बिहार के नेता हैं और मोदी जी देश के।' यह टिप्पणी सिर्फ संतोष यादव की ही नहीं है बल्कि बांकीपुर, कुम्भरार से लेकर पटना साहिब तक एक बड़े वर्ग की यही राय है। बांकीपुर में लाई-मूड़ी-भूंजा का ठेला लगाने वाले रामोतार पासवान कहते हैं, 'कौन चुनाव लड़ रहा है, इससे मतलब नहीं है। बीजेपी माने तो मोदीजी ही है न।'

पासवान ने कहा, 'लालूजी भी काम किए। अब उनके लड़कन लोग हैं। देखिए कौन जीतता है?' पटना साहिब सीट पर वर्तमान सांसद और कांग्रेस प्रत्याशी सिनेस्टार शत्रुघ्न सिन्हा का मुकाबला केंद्रीय मंत्री और बीजेपी उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद से है। पटना साहिब सीट देश की उन चुनिंदा सीटों में एक हैं जहां कायस्थ मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। बीजेपी ने इस सीट पर पार्टी से असंतुष्ट रहने वाले शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट इस बार काट दिया और उन्हीं की जाति से संबंध रखने वाले केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को टिकट दिया है । इसके बाद सिन्हा बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।

पटना साहिब पर सिन्हा को महागठबंधन का समर्थन हासिल है जिसमें लालू प्रसाद की अगुवाई वाला आरजेडी भी शामिल है। पटना साहिब सीट का गठन वर्ष 2008 में नए परिसीमन के तहत हुआ था। इसके बाद से यहां पर दो लोकसभा चुनाव हुए हैं। दोनों ही बार बीजेपी के टिकट पर शत्रुघ्न सिन्हा सांसद चुने गए। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पटना साहिब सीट पर जातीय समीकरण के आधार पर कायस्थों का दबदबा रहा है। लगभग पांच लाख से ज्यादा कायस्थों के अलावा यहां यादव और राजपूत मतदाताओं की भी खासी संख्या है।

सामान्य तौर पर यहां के कायस्थ वोटरों का झुकाव बीजेपी की तरफ माना जाता है। इस बार चुनाव मैदान में दोनों ही तरफ बड़े कायस्थ चेहरे खड़े होने की वजह से वोट बंटने के कयास लगाए जा रहे हैं। जेडीयू के साथ होने की वजह से रविशंकर प्रसाद को कुर्मी और अति पिछड़ा वोटों का भी लाभ हो सकता है। कुम्हरार के नवीन सिन्हा का कहना है कि अगर रविशंकर प्रसाद अब तक दिल्ली की राजनीति करते रहे हैं तो शत्रुघ्न सिन्हा भी पटना में चुनाव के वक्त ही दिखाई देते हैं।

गौरतलब है कि रविशंकर प्रसाद के पिता ठाकुर प्रसाद जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस क्षेत्र के विकास के लिए उनका एजेंडा स्पष्ट है। यहां सड़कों को लगातार दुरूस्त किया जा रहा है। इसके अलावा पटना मेट्रो की आधारशिला रखी जा चुकी है और इसका विस्तार किया जाएगा। पटना को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने की पहल की जा रही है जिसमें बीपीओ और स्टार्टअप भी हैं। शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि बीजेपी में उन्होंने लोकशाही को धीरे-धीरे तानाशाही में परिवर्तित होते देखा है।

सिन्हा के मुताबिक, 'इस बार लोग बदलाव को तैयार हैं। अगर कोई मुगालते में है, तो उसे रहने दें।' गौरतलब है कि पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें आती हैं। इन विधानसभा सीटों में बख्तियारपुर, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, दीघा और फतुहा सीटें शामिल हैं। इनमें पांच सीटें बीजेपी के पास हैं। सिर्फ फतुहा सीट आरजेडी के पास है।

साल 2008 में परिसीमन से पहले पटना सीट पर 1952 से 1962 तक कांग्रेस तथा 1967 एवं 1971, 1980 में सीपीआई ने जीत दर्ज की । 1977 में जनता दल, 1984 में कांग्रेस जीती । 1989 में पहली बार बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की । 1991 एवं 1996 में जनता दल तथा 1998 और 1999 में यह सीट बीजेपी की झोली में गई । 2004 में यह सीट आरजेडी के खाते में गई।