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संसद ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।

राज्यसभा ने बुधवार को विस्तृत चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया। सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के विपक्ष के प्रस्ताव और संशोधनों को खारिज कर दिया। विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।

राज्यसभा में 125-105 से बिल को मंजूरी मिलने के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'यह हमारे देश की दया और भाईचारे के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। इस बात की प्रसन्नता है कि राज्यसभा में बिल पास हो गया और मैं विधेयक के पक्ष में वोट करने वाले सांसदों का आभारी हूं। यह विधेयक उन लोगों की पीड़ा दूर करेगा जो वर्षों से प्रताड़ित किए जाते रहे हैं।'

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दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्यसभा से नागरिकता संशोधन विधेयक के पारित होने को भारत के संवैधानिक इतिहास का 'काला दिन' करार देते हुए कहा कि यह उस भारत की सोच को चुनौती है जिसके लिए राष्ट्र निर्माता लड़े थे। सोनिया ने एक बयान में कहा, ''आज भारत के संवैधानिक इतिहास में काला दिन है। नागरिकता संशोधन विधेयक का पारित होना तुच्छ सोच वाली और कट्टर ताकतों की भारत के बहुलवाद पर जीत है।"

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Twitter / @ANI

उन्होंने कहा, ''यह विधेयक उस आइडिया ऑफ इंडिया को बुनियादी तौर पर चुनौती है जिसके लिए हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने लड़ाई लड़ी। अब इसकी जगह अशांत, विकृत और विभाजित भारत बनेगा जहां धर्म राष्ट्रीयता की पहचान होगी।'' उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे के खिलाफ कांग्रेस अपना संघर्ष जारी रखने को प्रतिबद्ध है।

इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत के मुसलमान भारतीय नागरिक थे, हैं और बने रहेंगे।उन्होंने कहा कि उन तीनों देशों में अल्पसंख्यकों की आबादी में खासी कमी आयी है। शाह ने कहा कि विधेयक में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।शाह ने इस विधेयक के मकसदों को लेकर वोट बैंक की राजनीति के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए देश को आश्वस्त किया कि यह प्रस्तावित कानून बंगाल सहित पूरे देश में लागू होगा।

गृह मंत्री अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाहReuters

उन्होंने इस विधेयक के संविधान विरूद्ध होने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि संसद को इस प्रकार का कानून बनाने का अधिकार स्वयं संविधान में दिया गया है। उन्होंने यह भी उम्मीद जतायी कि यह प्रस्तावित कानून न्यायालय में न्यायिक समीक्षा में सही ठहराया जाएगा।उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे भारत के नागरिक हैं और बने रहेंगे।

नागरिकता संशोधन विधेयक के तहत 1955 के सिटिजनशिप ऐक्ट में बदलाव का प्रस्ताव है। इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर भारत में बसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रस्ताव है। इन समुदायों के उन लोगों को नागरिकता दी जाएगी, जो बीते एक साल से लेकर 6 साल तक में भारत आकर बसे हैं। फिलहाल भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए यह अवधि 11 साल की है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.