लोकसभा में शुक्रवार को कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों की ओर से पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव औंधे मुंह गिर गया. कुल 451 सदस्यों की उपस्थिति में हुए मतविभाजन में विपक्ष के इस प्रस्ताव के समर्थन में महज 126 तो विरोध में 325 वोट पड़े. इस दौरान बीजेपी ने शिवसेना द्वारा इस प्रस्ताव से बनाई गई दूरी की भरपाई 37 सदस्यों वाली अन्नाद्रमुक का समर्थन हासिल कर पूरी कर ली.जबकि चर्चा शुरू होन से पहले बीजेडी ने वाकआउट कर बीजेपी की राह आसान करने के साथ ही कांग्रेस को करारा झटका दिया.
शुक्रवार को प्रस्ताव पर चली करीब 12 घंटे की चर्चा अचानक पीएम मोदी बनाम कांग्रेस अध्यक्ष राहुल में बदल गई. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल के पीएम मोदी पर सीधे भ्रष्टाचार के आरोप से संसद का माहौल कई बार बेहद तनावपूर्ण हो गया. राहुल गांधी ने अपने 40 मिनट के भाषण में 30 मिनट सीधे पीएम मोदी पर हमला करने में लगाए.
इसके जवाब में पीएम ने अपने करीब डेढ़ घंटे के भाषण में एक घंटे तक गांधी-नेहरू परिवार पर निशाना साधा. प्रधानमंत्री की ओर से चर्चा का जवाब देने के बाद मतविभाजन कराया गया.
दरअसल कांग्रेस की योजना जहां राजग के नाराज घटक दलों और बीजेपी के नाराज सांसदों को साध कर मोदी सरकार की किरकिरी कराने की थी. हालांकि इस क्रम में शिवसेना का चर्चा में भाग न लेने के फैसले से कांग्रेस को थोड़ी उम्मीद बंधी. मगर चर्चा शुरू होते ही बीजेडी ने कार्यवाही का बहिष्कार कर कांग्रेस को पहला सियासी झटका दिया.
इसके बाद बीजेपी ने अन्नाद्रमुक को अपने पाले में ला कर कांग्रेस की रही सही उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया. गौरतलब है कि शिवसेना के साथ लोकसभा में बीजेपी के सदस्यों की संख्या बिना स्पीकर के 313 थी. शिवसेना के चर्चा से दूर होने के कारण यह संख्या 300 के नीचे पहुंचती दिख रही थी, मगर पार्टी ने अन्नाद्रमुक को साध कर इस संख्या को 325 तक पहुंचाने में सफलता हासिल की.