देश में कोरोनावायरस के मामले बढ़ने के बाद बुधवार को शेयर बाजारों में फिर गिरावट आई। कोरोना वायरस के मामलों की संख्या अचानक तेजी से बढ़ने की वजह से निवेशक चौकन्ने हो गए हैं। काफी उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 214 अंक के नुकसान के साथ बंद हुआ। मंगलवार को सेंसेक्स लाभ में था।
सरकार ने बुधवार को कहा कि देश में अब तक कोविड-19 के 28 मामलों की पुष्टि हुई है। मंगलवार को देश में छह मामलों की पुष्टि हुई थी। इनमें इटली के 16 पर्यटक और उनका वाहन चालक शामिल है। इस बीच, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार कोरोना वायरस से निपटने को तेजी से कदम उठा रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार इसकी निगरानी कर रहे हैं।
बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स दिन में कुल मिला कर 945 अंक तक के दायरे में घट-बढ़ के बाद अंत में 214.22 अंक या 0.55 प्रतिशत के नुकसान से 38,409.48 अंक पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 52.30 अंक या 0.46 प्रतिशत के नुकसान से 11,300 अंक से नीचे 11,251 अंक पर बंद हुआ।
बाजार की गिरावट में मुख्य योगदान बैंकों के शेयरों का रहा। इंडसइंड बैंक, एचडीएफसी बैंक, एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक के शेयर 3.85 प्रतिशत तक टूट गए। अन्य कंपनियों में बजाज फाइनेंस, आईटीसी, अल्ट्राटेक सीमेंट और टाटा स्टील में भी गिरावट आई। वहीं दूसरी ओर सनफार्मा का शेयर 2.86 प्रतिशत तक चढ़ गया। टेक महिंद्रा, महिंद्रा एंड महिंद्रा और एशियन पेंट्स के शेयर भी लाभ में रहे।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ''भारत में वायरस संक्रमण के जो नए मामले सामने आए हैं उनकी वजह से फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती भी बाजार में उत्साह का संचार नहीं कर पाई।'' नायर ने कहा कि देश-दुनिया के बाजारों में वायरस की वजह से लघु अवधि का झटका लग सकता है लेकिन इसका दीर्घावधि का प्रभाव सीमित रहेगा।
बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप 1.61 प्रतिशत तक टूट गए। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्णकालिक सदस्य एस के मोहंती ने कहा कि नियामक आंतरित रूप से कोरोना वायरस के पूंजी बाजारों पर असर का आकलन कर रहा है।
फेडरल रिजर्व के चेयमरैन जेरोम पॉवेल का मानना है कि कोरोना वायरस आर्थिक गतिविधियों के लिए जोखिम पैदा करेगा। हालांकि, फेडरल रिजर्व के ब्याज दर कटौती का फैसला भारतीय निवेशकों में उत्साह पैदा नहीं कर सका।
आशिका इंस्टिट्यूशनल इक्विटी रिसर्च का कहना है कि अभी इस बात को लेकर अनिश्चितता है कि कैसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं वायरस को फैलने से रोकेंगी।
वैश्विक शेयर बाजारों में बुधवार को मिलाजुला रुख रहा। अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बावजूद वॉल स्ट्रीट में गिरावट आई। लंदन बाजार की शुरुआत कमजोर रही, जबकि जर्मनी के बाजार में बढ़त रही। चीन का शंघाई लाभ में रहा, सिडनी और हांगकांग के बाजारों में गिरावट रही। जापान के तोक्यो बाजार में मामूली बदलाव हुआ। दक्षिण कोरिया का कॉस्पी 2.2 प्रतिशत तक चढ़ गया।
दुनिया के सात प्रमुख औद्योगिकीकृत देशों समूह द्वारा मंगलवार को वैश्विक अर्थव्यवस्था को समर्थन की घोषणा की गई, लेकिन बाजार इसको लेकर उत्साहित नहीं थे। वॉल स्ट्रीट में बेंचमार्क एसएंडपी 500 इंडेक्स 2.8 प्रतिशत टूट गया। नौ दिन में इसमें आठवीं बार गिरावट आई है। चीन, आस्ट्रेलिया और अन्य केंद्रीय बैंकों ने भी ब्याज दरों में कटौती की है, जिससे आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन दिया जा सके।
अर्थशास्त्रियों ने आगाह किया है कि सस्ते कर्ज से उपभोक्ता बेशक आकर्षित हो सकते हैं लेकिन इनसें कच्चे माल की कमी की वजह से बंद हुए कारखानों को नहीं खोला जा सकता।
ब्रेंट कच्चा तेल वायदा 0.58 प्रतिशत की बढ़त के साथ 52.16 डॉलर प्रति बैरल पर था। अंतर बैंक विदेशी विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 14 पैसे के नुकसान के साथ 73.34 प्रति डॉलर पर था।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.