देश के 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने कोरोना वायरस के चलते अपने-अपने यहां पूर्ण लॉकडाउन के आदेश दिए हैं और छह अन्य राज्यों ने भी अपने कुछ क्षेत्रों में इसी तरह के प्रतिबंधों की घोषणा की है। केंद्र सरकार ने राज्यों से यह भी कहा है कि यदि जरूरी हो तो अतिरिक्त प्रतिबंध भी लागू किए जाएं। पंजाब और महाराष्ट्र ने अपने यहां कर्फ्यू लगाने की घोषणा की है।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा, ''20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने पूर्ण लॉकडाउन के आदेश जारी किए हैं।'' उन्होंने कहा कि छह अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने भी अपने कुछ क्षेत्रों में लॉकडाउन लागू किया है।
देश में 28 राज्य और आठ केंद्रशासित प्रदेश हैं। तीन अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने कुछ गतिविधियों पर रोक लगाने का निर्देश जारी किया है जिससे कि बड़ी संख्या में लोग एकत्र न हो सकें।
लॉकडाउन के आदेश के बावजूद लोगों के बाहर घूमने के कारण पंजाब और महाराष्ट्र के बाद पुडुचेरी ने भी कर्फ्यू के आदेश जारी किए हैं जिससे कि लोग बाहर न निकल सकें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से अपील की है कि वे कोरोना वायरस के मद्देनजर लॉकडाउन का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराएं क्योंकि कई लोग कदमों को गंभीरता से नहीं ले रहे। उन्होंने हिन्दी में ट्वीट किया, ''लॉकडाउन को अभी भी कई लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। कृपया करके अपने आपको बचाएं, अपने परिवार को बचाएं, निर्देशों का गंभीरता से पालन करें। राज्य सरकारों से मेरा अनुरोध है कि वो नियमों और कानूनों का पालन करवाएं।''
अन्य अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने उन राज्यों के पुलिस महानिदेशकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की जहां लॉकडाउन लागू किया गया है। भल्ला ने पुलिस महानिदेशकों से कहा कि वे लॉकडाउन के आदेश का कड़ाई से पालन कराएं। यह बैठक इन खबरों के मद्देनजर हुई कि अनेक लोग कोरोना वायरस के चलते जारी किए गए निषेधाज्ञा के आदेशों के बावजूद घरों से बाहर घूम रहे हैं।
केंद्र और राज्य सरकारों ने रविवार को लगभग उन 80 जिलों में लॉकडाउन की घोषणा की जहां कोविड 19 का कम से कम एक मामला सामने आया है। इस बीच, मंत्रिमंडल सचिव राजीव गौबा ने राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर आग्रह किया कि वे स्थिति पर हर समय नजर रखें।
गौबा ने कहा कि यदि जरूरी हो तो अतिरिक्त प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं और सभी मौजूदा प्रतिबंध कड़ाई से लागू किए जाने चाहिए। मंत्रिमंडल सचिव ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा कि आदेशों के उल्लंघन पर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
राष्ट्रीय राजधानी में एम्स ने विशिष्ट सेवाओं सहित अपने सभी ओपीडी, सभी नये एवं पुराने मरीजों के पंजीकरण को 24 मार्च से अगले आदेश तक बंद करने का निर्णय किया है क्योंकि यह अपने संसाधनों को कोविड-19 पर नियंत्रण में लगाएगा।
गुजरात, बिहार और महाराष्ट्र में रविवार को एक-एक व्यक्ति की कोरोना वायरस से मौत हो गई जबकि इससे पहले चार मौतें कर्नाटक, दिल्ली, महाराष्ट्र और पंजाब में हुई थी। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक चार नये मामलों के साथ महाराष्ट्र में कोविड-19 के मामले 74 हो गए हैं जिनमें तीन विदेशी नागरिक हैं। केरल में 67 मामले हैं जिनमें सात विदेशी नागरिक हैं।
कर्नाटक में कोरोना वायरस के 33 मामले सामने आए हैं । तेलंगाना में दस विदेशियों सहित ऐसे मामले बढ़कर 32 हो गए हैं। उत्तर प्रदेश में 31 पॉजिटिव मामले हैं जिनमें एक विदेशी नागरिक है। दिल्ली और गुजरात में 29- 29 मामले हैं जबकि राजस्थान में 28 मामलों की पुष्टि हुई है जिनमें दो विदेशी नागरिक हैं। हरियाणा में 26 मामले हैं जिनमें 14 विदेशी नागरिक हैं जबकि पंजाब में 21 मामले हैं।
लद्दाख में 13 मामले हैं जबकि तमिलनाडु में नौ मामले पॉजिटिव हैं जिनमें दो विदेशी नागरिक हैं। पश्चिम बंगाल में सात मामले हैं जबकि मध्य प्रदेश में अभी तक छह मामले सामने आए हैं। चंडीगढ़ और आंध्रप्रदेश में क्रमश: छह और सात मामलों की पुष्टि हुई है, जम्मू-कश्मीर में चार मामले हैं। उत्तराखंड में तीन, बिहार, ओडिशा और हिमाचल प्रदेश में दो-दो मामले जबकि पुडुचेरी और चंडीगढ़ में एक- एक मामले सामने आए हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (आईसीएमआर) ने कहा कि सोमवार की सुबह दस बजे तक 18 हजार 383 नमूनों की जांच की गई। इस बीच उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को निर्देश दिया कि उच्चस्तरीय समितियों का गठन कर कैदियों की श्रेणी निर्धारित की जाए जिन्हें पैरोल पर रिहा किया जा सके।
कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण जेलों में भीड़भाड़ कम करने के प्रयास के तहत उसने यह निर्देश जारी किया है। इसने कहा कि दोषी करार दिए गए या सात वर्ष जेल तक की सजा वाले कैदियों को पैरोल दिया जा सकता है। अदालत ने आदेश दिया कि कैदियों की रिहाई के लिए उच्चस्तरीय समिति को राज्य कानूनी सेवाएं अधिकारी के साथ विचार-विमर्श कर काम करना चाहिए।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.