पुणे स्थित भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिक पहली बार कोरोना वायरस की तस्वीरें सामने लाने में सफल हुए हैं। यह तस्वीरें ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप इमेजिंग की मदद से ली गई है। इन तस्वीरों को इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च के ताजा संस्करण में प्रकाशित किया गया है।
वैज्ञानिकों ने माइक्रोस्कोप के जरिए सार्स-कोव-2 वायरस की तस्वीर ली है। यह कोरोना वायरस का ही वैज्ञानिक नाम है, जिसे कोविड-19 के अन्य नाम से भी जाना जाता है।
In a first, Indian scientists have revealed a microscopy image of SARS-CoV-2 virus (COVID19). Scientists took the throat swab sample from first laboratory-confirmed COVID19 case in India, reported on Jan 30 in Kerala. The findings are published in the latest edition of the IJMR. pic.twitter.com/1JQcf4VS8y
— ANI (@ANI) March 27, 2020
भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला 30 जनवरी को केरल में पाया गया था। वैज्ञानिकों ने इस खतरनाक वायरस की चपेट में आने वाले देश के पहले शख्स के गले से कोरोना वायरस का सैंपल लिया था। संक्रमित युवती उन तीन छात्रों में शामिल थी, जो चीन के वुहान शहर में मेडिसिन की पढ़ाई कर रहे थे।
केरल के इन नमूनों की जीन सिक्वेंसिंग नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में की गई थी. इसमें पता चला था कि भारत में मिला यह वायरस चीन के वुहान शहर में मिले वायरस से 99.98 फीसदी मैच कर रहा है।
इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में उपरोक्त लेख आइसीएमआर-एनआइवी नेशनल इंफ्लूएंजा सेंटर की टीम ने लिखा है। इसके लेखकों में एनआईवी के उपनिदेशक और इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी एंड पैथोलॉजी के प्रमुख अतनु बसु भी शामिल हैं। लेख के मुताबिक, एक वायरस पार्टिकल काफी अच्छी तरह संरक्षित था, जिसमें कोरोना वायरस के बेहद विशिष्ट लक्षण दिखाई दे रहे थे और इसका आकार 75 नैनोमीटर का था।
यह वायरस क्राउन (मुकुट) जैसा दिखता है इसलिए इसे कोरोना नाम दिया गया। लैटिन भाषा में कोरोना का अर्थ-मुकुट होता है। इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के पूर्व निदेशक डॉ. निर्मल गांगुली कहते हैं कि यह वायरस पहले ग्राहक कोशिका (रिसेप्टर सेल) से चिपकता है फिर उसमें समाहित हो जाता है।
अभी तक कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज नहीं ढूंढा जा सका है। दुनियाभर में तमाम देशों के वैज्ञानिक इस वायरस का इलाज ढूंढ़ने में जुटे हैं। भारतीय वैज्ञानिकों को इस वायरस की माइक्रोस्कोपी इमेज निकालने से इसके इलाज की दिशा में आगे के वैज्ञानिक अध्ययन का रास्ता साफ हुआ है।
वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में दिन-रात इस बात का पता लगाने में जुटे हैं कि आखिरकार यह महामारी फैली कैसे..? क्या यह प्राकृतिक कारणों से उपजी है या मानव निर्मित है? इन सवालों के जवाब अभी तक तलाशे नहीं जा सके हैं।
गौरतलब है कि दुनिया के साथ-साथ भारत में भी कोरोना वायरस का कहर तेजी से बढ़ता जा रहा है। 180 से ज्यादा देशों में फैल चुका यह वायरस अब तक 22,000 से ज्यादा जानें ले चुका है और करीब पांच लाख लोग इससे संक्रमित हैं।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.