उत्तर पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून को लेकर भड़की साम्प्रदायिक हिंसा में मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर बुधवार को 20 पर पहुंच गई है। जीटीबी अस्पताल के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मंगलवार को मरने वाले लोगों की संख्या 13 बताई गई थी।
जीटीबी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक सुनील कुमार ने पीटीआई-भाषा को बताया, ''मृतकों की संख्या आज बढ़कर 20 हो गई।'' इससे पहले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल से कम से कम चार शवों को गुरु तेग बहादुर अस्पताल लाया गया।
अधिकारियों द्वारा अब तक मृतकों की पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है, जबकि दिल्ली पुलिस ने कहा कि घायलों में 56 पुलिसकर्मी शामिल हैं।
इससे पहले दिन में, एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता, एसीपी मंदीप सिंह रंधावा ने कहा कि रविवार को भड़की हिंसा में 18 लोगों की मौत हो गई, जबकि 186 लोग घायल हुए हैं।
रंधावा ने यह भी दावा किया कि पुलिस और सरकार की सतर्कता के चलते जाफराबाद, गोकुलपुरी और मौजपुर इलाकों में स्थिति नियंत्रण में है।
उन्होंने कहा कि 186 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 56 पुलिसकर्मी हैं जबकि डीसीपी अमित शर्मा और गोकुलपुरी एसीपी की हालत गंभीर है।
एसीपी ने कहा कि इस संबंध में अब तक 11 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
अतिरिक्त पुलिस बल और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है जबकि दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी स्थिति से निपटने के लिए मौके पर मौजूद हैं।
इस बीच, दिल्ली पुलिस ने हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में दंगाइयों को देखते ही गोली चलाने के आदेश जारी किए हैं।
इससे पूर्व दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार आधी रात को सुनवाई कर पुलिस को, संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर पूर्वोत्तर दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा में घायल हुए लोगों को सुरक्षित निकाल कर सरकारी अस्पतालों में ले जाने और उनका तत्काल उपचार सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर के आवास पर मंगलवार देर रात साढ़े 12 बजे यह विशेष सुनवाई शुरू हुई।
न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर को एक वकील ने घायलों को छोटे अस्पतालों से जीटीबी अस्पताल ना ले जा पाने की विकट परिस्थितियों के बारे में बताया था, जिसके बाद देर रात को यह सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति अनूप जे. भंभानी की पीठ ने पुलिस को इस व्यवस्था के लिए सभी संसाधनों का इस्तेमाल करने का आदेश दिया। साथ ही पीठ ने यह भी व्यवस्था दी कि अगर उसके आदेश के बावजूद, घायलों का दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल में तत्काल इलाज ना हो सके तो उन्हें लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल या मौलाना आजाद या किसी अन्य अस्पताल ले जाया जाए।
पीठ ने अनुपालन की स्थिति रिपोर्ट भी मांगी है, जिसमें घायलों और उन्हें दिए गए उपचार के बारे में जानकारी हो। मामले पर आगे की सुनवाई आज बुधवार दो बजकर 15 मिनट पर होगी। व्यवस्था देते हुए पीठ ने कहा कि जीटीबी और एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षकों को भी इस आदेश की जानकारी दी जाए।
वकील सुरूर मंडेर ने न्यायधीश से सम्पर्क कर घायलों के लिए एम्बुलेंस का सुरक्षित निकास सुनिश्चित करने का आदेश देने की अपील की थी।दिल्ली पुलिस और सरकार का पक्ष यहां अतिरिक्त स्थायी वकील संजय घोष ने रखा। सुनवाई के दौरान न्यू मुस्तफाबाद स्थित अल-हिंद अस्पताल के डॉक्टर अनवर से फोन पर बात की गई, जिन्होंने अदालत को बताया कि दो शव और 22 घायल वहां हैं और वह मंगलवार शाम चार बजे से पुलिस की मदद पाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन सफलता नहीं मिल पाई है।
अदालत ने फिर वरिष्ठ अधिकारियों से तुरन्त अस्पताल जाने और घायलों को तत्काल प्रभाव से नजदीकी अस्पतालों में पहुंचाने का काम शुरू करने का ओदश दिया। उसने इस आदेश की जानकारी दिल्ली पुलिस आयुक्त को भी देने का निर्देश दिया।
(समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा के इनपुट के साथ)