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सांकेतिक तस्वीरGetty Images

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। दरअसल, राजधानी में महिलाओं को मेट्रो में मुफ्त यात्रा की सुविधा देने की दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर शुक्रवार को कोर्ट ने गंभीर सवाल खड़े किए।

कोर्ट ने इस तरह मुफ्त यात्रा और रियायत देने पर कहा कि इससे दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को घाटा हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि दिल्ली सरकार को जनता के पैसे से इस तरह की मुफ्त रेवड़ियां देने से गुरेज करना चाहिए। साथ ही कोर्ट ने चेतावनी भी दी है कि वह उसे ऐसा करने से रोक सकती है क्योंकि कोर्ट अधिकारविहीन नहीं हैं।

आपको बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जून के महीने में ऐलान किया था कि उनकी सरकार राजधानी में मेट्रो और बसों में महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा देने पर विचार कर रही है और उसकी योजना दो-तीन महीने के भीतर इसे लागू करने की है।

जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार के वकील से कहा, 'यदि आप लोगों को मुफ्त यात्रा की इजाजत देंगे तो दिल्ली मेट्रो को घाटा हो सकता है। यदि आप ऐसा करेंगे तो हम आपको रोकेंगे। आप यहां पर एक मुद्दे के लिए लड़ रहे हैं और आप चाहते हैं कि उन्हें नुकसान हो। आप प्रलोभन मत दीजिए। यह जनता का पैसा है।'

पीठ ने कहा, 'आप दिल्ली मेट्रो को क्यों बर्बाद करना चाहते हैं? क्या आप इस तरह की घूस देंगे और कहेंगे कि केंद्र सरकार को इसका खर्च वहन करना चाहिए।'

गौरतलब है कि लोकसभा चुनावों में करारी शिकस्त देख दिल्ली सरकार ने यह कदम अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए उठाया है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार को इस तरह से अपने धन का उपयोग नहीं करना चाहिए।

पीठ ने कहा, 'आपके पास जो है वह जनता का धन और जनता का विश्वास है। क्या आप समझते हैं कि अदालतें अधिकारविहीन हैं।' हालांकि दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि इस प्रस्ताव पर अभी अमल नहीं किया गया है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण की परियोजना से संबंधित तीन मुद्दों पर विचार किया। इनमें संचालन का घाटा वहन करना, जापान इंटरनैशनल कॉर्पोरेशन एजेंसी के ऋण के भुगतान में चूक होने पर इसका पुनर्भुगतान और भूमि की कीमत साझा करना शामिल थे। केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच इन मुद्दों को अभी भी सुलझाना बाकी है।

कोर्ट ने साथ ही निर्देश दिया कि मेट्रो के चौथे चरण की 103.94 किलोमीटर लंबी परियोजना के संचालन घाटे की भरपाई दिल्ली सरकार करेगी क्योंकि परिवहन का यह साधन राष्ट्रीय राजधानी में आवागमन के लिए है। पीठ ने निर्देश दिया कि इस परियोजना के लिए भूमि की कीमत केंद्र और दिल्ली सरकार को 50:50 के अनुपात में वहन करनी होगी।

पीठ ने संबंधित प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि मेट्रो परियोजना के चौथे चरण में किसी प्रकार का विलंब नहीं हो और भूमि की कुल कीमत की 2,247.19 करोड़ रुपये की राशि तत्काल जारी की जाए। पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वे भूमि की कीमत के भुगतान का तरीका तीन सप्ताह के भीतर तैयार करें।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।