ओला और उबर राष्ट्रीय राजधानी में 4 नवंबर से शुरू होने वाली 12-दिवसीय सम-विषम (Odd Even) योजना के दौरान सर्ज प्राइसिंग का सहारा नहीं लेंगे।
ओला और उबर राष्ट्रीय राजधानी में 4 नवंबर से शुरू होने वाली 12-दिवसीय सम-विषम (Odd Even) योजना के दौरान सर्ज प्राइसिंग का सहारा नहीं लेंगे।Reuters

ऐप-आधारित कैब एग्रीगेटर्स ओला और उबर राष्ट्रीय राजधानी में 4 नवंबर से शुरू होने वाली 12-दिवसीय सम-विषम (Odd Even) योजना के दौरान सर्ज प्राइसिंग का सहारा नहीं लेंगे. ओला ने एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया है कि वह प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार की पहल को अपना समर्थन देगा.

ओला के मुख्य बिक्री और विपणन अधिकारी अरुण श्रीनिवास ने कहा, "यात्रियों को एक इष्टतम और निर्बाध अनुभव प्रदान करने के हमारे प्रयासों को जारी रखते हुए, ऑड-ईवन अवधि के दौरान ओला प्लेटफॉर्म पर बुक की गई सवारी पर कोई सर्ज प्राइसिंग नहीं होगी. हम सभी ड्राइवर-भागीदारों, यात्रियों और नागरिकों को इस योजना में भाग लेने और बनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और हमे इस बात की पूरी उम्मीद है कि योजना का तीसरा संस्करण, बेहद सफल रहेगा."

पिछले महीने, उबर ने भी राष्ट्रीय राजधानी में ऑड-ईवन योजना के कार्यान्वयन के दौरान सर्ज प्राइसिंग को निष्क्रिय करने की घोषणा की थी. उबर के प्रवक्ता ने पिछले महीने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "हम शहर के चारों ओर आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए ऑड-ईवन चरण में आसान करना चाहते हैं और हमने डायनेमिक प्राइसिंग को निष्क्रिय करने का फैसला किया है. हम पूरी ईमानदारी से दिल्ली सरकार के इस कदम का समर्थन करते हैं और इसकी सफलता की कामना करते हैं."

इसके अलावा दिल्ली सरकार सोमवार से राजधानी में 12 दिन तक वाहनों को सम-विषम के आधार पर चलाने की योजना के लिए तैयार है और इसके लिए 2000 अतिरिक्त बसें लगाई गयी हैं. यात्रियों की सुविधा के लिए मेट्रो भी 61 अतिरिक्त फेरे लगाएगी. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. उन्होंने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि सम-विषम योजना के तहत किसी को असुविधा नहीं हो.

ऑटो और ई-रिक्शा चालकों से भी अतिरिक्त किराया नहीं वसूलने को कहा गया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि इस योजना के दौरान स्कूली बच्चों को लेकर जाने वाले वाहनों को लेकर थोड़ी भ्रम की स्थिति है. हालांकि विश्वास के आधार पर ऐसे वाहनों को चलने की इजाजत होगी। ऐसा ही रोगियों को लेकर जा रहे वाहनों के मामले में होगा.

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सांकेतिक तस्वीरMANJUNATH KIRAN/AFP/Getty Images

स्कूली बच्चों के वाहनों के मुद्दे के अलावा विशेषज्ञों और कुछ दिल्लीवासियों ने सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की खराब हालत, सीएनजी वाहनों पर प्रतिबंध तथा दो पहिया वाहनों को दी गयी छूट को लेकर सरकार की आलोचना की.

केजरीवाल ने योजना की अधिसूचना जारी करने के दौरान संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''स्कूली बच्चों के वाहनों को लेकर थोड़ी भ्रम की स्थिति है. स्कूल सुबह 8 बजे से पहले खुलते हैं और हमारा मानना है कि अभिभावक सुबह आठ बजे से पहले लौट सकते हैं. अगर वे बच्चों को लेने दोपहर में जाते हैं तो हम उन्हें विश्वास के आधार पर अनुमति देंगे. ऐसा ही रोगियों को लेकर जा रहे वाहनों के मामले में होगा.''

हालांकि कुछ अभिभावकों ने विश्वास आधारित व्यवस्था को लेकर आशंका जताई. एक महिला ने इस संबंध में कहा कि इस मामले में अधिक स्पष्टता होनी चाहिए. यातायात पुलिसकर्मी को कैसे पता चलेगा कि आप अभिभावक हैं और बच्चे को स्कूल छोड़कर लौट रहे हैं.

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(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)