प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण दुनिया में पैदा हुई उथल-पुथल और निराशा के बीच भगवान बुद्ध की सीख को पहले से भी अधिक प्रासंगिक बताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि थक कर रुक जाना, कोई विकल्प नहीं होता और विजय के लिये निरंतर प्रयास जरूरी है।
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर 'वेसाक वैश्विक समारोह' को वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिये संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ''भारत नि:स्वार्थ भाव से, बिना कोई भेदभाव किये देश और पूरे विश्व में.... संकट में घिरे लोगों के साथ पूरी मज़बूती से खड़ा है।''
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ''ऐसे समय में जब दुनिया में उथल-पुथल है, कई बार दुःख-निराशा-हताशा का भाव बहुत ज्यादा दिखता है, तब भगवान बुद्ध की सीख और भी प्रासंगिक हो जाती है।''
उन्होंने कहा, ''उनका (भगवान बुद्ध) कहना था कि मानव को निरंतर यह प्रयास करना चाहिए कि वह कठिन परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करे, उनसे बाहर निकले। थक कर रुक जाना, कोई विकल्प नहीं होता।''
मोदी ने कहा कि बुद्ध भारत के बोध और भारत के आत्मबोध, दोनों का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि इसी आत्मबोध के साथ भारत निरंतर पूरी मानवता एवं पूरे विश्व के हित में काम कर रहा है और करता रहेगा।
उन्होंने कहा, ''भारत आज प्रत्येक भारतवासी का जीवन बचाने के लिए हर संभव प्रयास तो कर ही रहा है, साथ ही अपने वैश्विक दायित्वों का भी उतनी ही गंभीरता से पालन कर रहा है। भारत की प्रगति विश्व की प्रगति में हमेशा सहायक रही है।''
प्रधानमंत्री ने कहा, ''आज हम सब भी एक कठिन परिस्थिति से निकलने के लिए निरंतर जुटे हुए हैं और साथ मिलकर काम कर रहे हैं।''
उन्होंने कहा कि समय बदला, स्थिति बदली, समाज की व्यवस्थाएं बदलीं, लेकिन भगवान बुद्ध का संदेश जीवन में निरंतर विद्यमान रहा है।
मोदी ने कहा, ''यह सिर्फ इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि बुद्ध सिर्फ एक नाम नहीं है बल्कि एक पवित्र विचार भी है । प्रत्येक जीवन की मुश्किल को दूर करने के संदेश और संकल्प ने भारत की सभ्यता को, संस्कृति को हमेशा दिशा दिखाई है। भगवान बुद्ध ने भारत की इस संस्कृति को और समृद्ध किया है।''
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा द्वारा लिखा गया है.