तेलंगाना सरकार ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर दी है. इस संबंध में सीएम के चंद्रशेखर राव ने कैबिनेट में प्रस्ताव पास किया था. तेलंगाना विधानसभा का कार्यकाल अगले साल समाप्त हो रहा था. बताया जा रहा है कि राज्य के राज्यपाल ने उनसे कार्वाहक सीएम रहने को कहा है. कैबिनेट बैठक के बाद सीएम के चंद्रशेखर राव ने राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन से मुलाकात की.
Governor ESL Narasimhan approves assembly dissolution as recommended by CM KC Rao. Governor has asked Rao to continue as caretaker Telangana CM till the new government is formed. https://t.co/iIzIv75S1w
— ANI (@ANI) September 6, 2018
तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस )सरकार का कार्यकाल मई 2019 तक का है, मगर मुख्यमंत्री केसीआर इस साल के अंत में चार राज्यों में होने वाले चुनाव के साथ ही यहां भी चुनाव कराना चाहते हैं.
कैबिनेट बैठक से पहले तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव पार्टी के सांसदों, विधायकों से मिले. इस संबंध में पहले ही साफ हो चुका था कि के चंद्रशेखर राव ने विधानसभा भंग करने का मन बना चुके थे, उन्हें सिर्फ समय का इंतजार था. ज्योतिष में खासा विश्वास रखने वाले मुख्यमंत्री 6 अंक को बेहद शुभ मानते हैं, इसलिए उन्होंने इस अहम फैसले के लिए 6 सितंबर के दिन को चुना है. बैठक भी ज्योतिष के आधार पर सुबह पौने 7 बजे बुलाई गई.
बता दें कि पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी. तभी से राज्य में समय पूर्व चुनाव की अटकलें लगनीं शुरू हुईं. सूत्र बता रहे हैं कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी तेलंगाना के बीजेपी नेताओं को बता दिया है कि साल के आखिर में अगर विधानसभा चुनाव हों तो उसके मद्देनजर तैयार रहें.
आइए, जानते हैं कि मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव आखिर किन 6 वजहों से समय से पूर्व ही विधानसभा भंग करवाना चाहते हैं.
- तेलंगाना के मुख्यमंत्री राव चाहते हैं कि अचानक विधानसभा भंग करा दिए जाने से चुनाव की तैयारियों के लिए विपक्षी दलों को ज्यादा मौका न मिले.
- मुख्यमंत्री राव को इस बात एहसास है कि राज्य में आज की तारीख में विपक्ष के पास उनके बराबर का कोई भी नेता नहीं है. लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव कराए जाने से उन्हें खासी मेहनत नहीं करनी पड़ेगी और अपनी छवि का राज्यस्तरीय चुनाव में फायदा उठा सकेंगे.
- अगर वह अप्रैल तक रुकते हैं तो आम चुनाव के माहौल में राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का फैक्टर तेलंगाना समेत शेष भारत में फैल सकता है. कांग्रेस वहां पर मुख्य विपक्षी दल है और पार्टी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर देती है तो लोकसभा वोटिंग के दौरान विधानसभा वोटिंग पर इसका असर पड़ सकता है.
- लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में विधानसभा चुनाव कराए जाते हैं तो ऐसे में मुख्यमंत्री राव को दोनों चुनाव की तैयारियों के लिए भरपूर समय मिल जाएगा.
- तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के मुखिया और मुख्यमंत्री राव को इस बात का डर है कि साल के अंत में 4 राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम) में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करती है तो 2019 में आम चुनाव में कांग्रेस को लेकर माहौल बनने का खतरा बन सकता है जो टीआरएस के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
- राव को लगता है कि आम चुनाव के दौरान राष्ट्रीय मुद्दा हावी रह सकता है. मुख्य मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच होने के कारण स्थानीय मुद्दों की जगह राष्ट्रीय मुद्दे जगह बना सकते हैं जिससे स्थानीय पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने कभी 'एक राष्ट्र एक चुनाव' का समर्थन किया था, लेकिन राजनीतिक हित के चक्कर में मुख्यमंत्री राव महज 4 महीने के अंदर राज्य को 2 बार चुनाव में धकेलना चाहते हैं, जो पूरी तरह से पैसे की बर्बादी है.