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दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद जारी तनाव के तीन दिन बाद आख़िरकार दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक, आईपीएस ने अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने मंगलवार 5 नवंबर को प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए घटना की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया। पटनायक ने कहा कि इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट गृह मंत्रालय (एमएचए) को भेजी गई है।

दिल्ली पुलिस आयुक्त ने आईटीओ स्थित दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर जमा हुए पुलिस कर्मियों से अपने प्रदर्शन को समाप्त करने का भी अनुरोध किया। आयुक्त अमूल्य पटनायक ने प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों से अपील की कि उन्हें एक अनुशासित बल की तरह व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने पुलिसकर्मियों से कहा कि वह काम पर लौट जाएं। दिल्ली पुलिस के लिए यह परीक्षा, अपेक्षा और प्रतीक्षा की घड़ी है। पटनायक ने कहा कि उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा।

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आयुक्त अमूल्य पटनायक ने कहा, 'सरकार और जनता हमसे कानून व्यवस्था को कायम रखने की उम्मीद रखती है, यह हमारी एक बड़ी जिम्मेदारी है। मैं अनुरोध करता हूं कि आप लोग काम पर लौट जाएं।'

वास्तव में क्या हुआ था?

पूरे मामले की शुरुवार 2 नवंबर को दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिसवालों के बीच पार्किंग को लेकर हुए विवाद के बाद शुरू हुई। बाद में यही मामूली पार्किंग विवाद वकील-पुलिस के बीच हिंसक भिड़ंत की वजह बन गया। दरअसल, मुजरिमों को सुनवाई के लिए लाने वाली पुलिस लॉकअप वैन के सामने एक वकील ने कार पार्क कर दी थी। पुलिसवाले ने इसका विरोध किया। दोनों के बीच हुई बहस के बाद अफवाह उड़ गई। अफवाह थी कि पुलिसवालों की गोली से एक वकील की मौत हो गई है। फिर क्या था वकील बिफर पड़े और पुलिसकर्मियों पर हमला बोल दिया।

इसके बाद तीस हजारी कोर्ट परिसर में जमकर बवाल हुआ। इसमें 28 लोग जख्मी हुए थे, जिसमें वकील और पुलिसवाले दोनों शामिल थे। इस बीच हिंसक झड़प के बाद पुलिस के कई वाहन भी फूंक दिए गए। बाद में कई विडियो सामने आए जिनमें वकील पुलिसवालों की बेरहमी से पिटाई करते दिखे। कुछ विडियो में वकील आम लोगों पर भी हमला करते और उनके मोबाइल फोन तोड़ते दिख रहे हैं।

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दिल्ली हाई कोर्ट ने रविवार को इस मामले का खुद ही संज्ञान लेते हुए घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए। कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस एस.पी. गर्ग से डेढ़ महीने में जांच रिपोर्ट मांगी है। कहा गया कि वे जांच में सीबीआई, विजिलेंस, आईबी या जरूरत के हिसाब से किसी भी अफसर की मदद ले सकते हैं।

सोमवार (4 नवंबर) को कुछ वकीलों ने साकेत कोर्ट के बाहर एक अन्य ऑन-ड्यूटी पुलिसकर्मी को पीटा, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।

दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विशेष आयुक्त (प्रभारी कानून एवं व्यवस्था) संजय सिंह, आईपीएस को पद से हटा दिया गया था और विशेष आयुक्त आरएस कृष्णैया, आईपीएस को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था।

दिल्ली पुलिस ने किया विरोध प्रदर्शन

मंगलवार (5 नवंबर) को वकीलों द्वारा उनके खिलाफ हिंसा की लगातार बढ़ रही घटनाओं के विरोध में दिल्ली पुलिस के सैकड़ों जवानों ने आईटीओ स्थित दिल्ली पुलिस मुख्यालय का घेराव किया।

पुलिसकर्मियों ने पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन के दौरान 'हमें न्याय चाहिए' के नारे लगाए और कहा कि हमें असुरक्षा का एहसास हो रहा है। प्रदर्शन कर रहे पुलिसकर्मियों से दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने मुलाकात की। इस दौरान पुलिस कमिश्नर ने पुलिसकर्मियों से कहा, 'आप सभी शांति बनाए रखें. सरकार और जनता को हमसे उम्मीदें है। हमारे लिए परीक्षा, अपेक्षा और प्रतीक्षा की घड़ी है। आप सभी ड्यूटी पर वापस जाए। इस मसले पर न्यायिक जांच चल रही है। हमें अनुशासन बनाए रखना है। हालात पहले से बेहतर हो रहे हैं।'

दिल्ली पुलिस के साथ हुई खड़ी आईपीएस, आईएएस एसोसिएशन

आईपीएस एसोसिएशन ने भी इस हमले की निंदा की और ''अपमान तथा ''हमले का सामने करने वाले अपने साथियों के साथ एकजुटता दिखाई। एसोसिएशन के आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया गया, ''पुलिस और वकीलों के बीच हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तथ्यों के आधार पर सभी को इस घटना के प्रति संतुलित नजरिया रखना चाहिए। देशभर की पुलिस उन पुलिसकर्मियों के साथ खड़ी है जिन्हें अपमानित किया गया और जिनके साथ मारपीट की गई। कानून तोड़ने के सभी प्रयासों की निंदा करता हूं, चाहे ऐसा प्रयास करने वाला कोई भी हो।"

आईएएस एसोसिएशन ने दिल्ली पुलिस का समर्थन करते हुए कहा कि हम तीस हजारी कोर्ट में पुलिसकर्मियों के खिलाफ की गई कायरतापूर्ण कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं। हम अपने सहयोगियों के साथ उनके संकट के समय में खड़े हैं और आशा करते हैं कि दोषियों को जल्द ही न्याय मिल जाएगा।

इसके अलावा बिहार पुलिस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह और महामंत्री कपिलेश्वर पासवान की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। एसोसिएशन ने कहा है कि पुलिस और वकील दोनों कानून के जानकार हैं और किसी को भी कानून को हाथ में नहीं लेना चाहिए। एसोसिएशन ने सरकार और न्यायपालिका से मामले का जल्द हल निकालने की अपील की है।

उधर तमिलनाडु आईपीएस एसोसिएशन ने भी कहा है कि वह दिल्ली पुलिस के हर जवान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।

क्या आप जानते हैं?

दिल्ली पुलिस द्वारा अंतिम विरोध प्रदर्शन 1967 में हुआ। 7,000 से अधिक दिल्ली पुलिस कर्मियों ने 1934 के पुलिस नियमों को रद्द करने, परिवार के लिए क्वार्टरों के आवंटन और 8 घंटे की शिफ्ट की मांग की थी। आंदोलन कई सप्ताह तक चला था।