फ्रांस से फाइटर जेट राफेल की खरीद का मुद्दा इन दिनों भारतीय राजनीति में छाया हुआ है. कांग्रेस जहां इसमें बड़े घोटाले का आरोप लगा रही है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है. पूरे विवाद के बीच डसॉल्ट सीईओ ने भी एक इंटरव्यू में कई बातों का खुलासा किया है. इस बीच, राफेल फाइटर जेट का फर्स्ट लुक सामने आ गया है, जो रोमांच पैदा करने वाला है. राफेल फाइटर जेट की ये तस्वीरें फ्रांस के इस्तरे-ली ट्यूब एयरबेस से सामने आई हैं.
#Visuals: First look of the #Rafale jet for the Indian Air Force, from the Istre-Le Tube airbase in France pic.twitter.com/Qv4aJdgjI7
— ANI (@ANI) November 13, 2018
समाचार एजेंसी ANI ने फ्रांसीसी एयरबेस से राफेल फाइटर जेट का एक वीडियो भी जारी किया है, जो बेहद रोमांचक है. ये फाइटर जेट अत्याधुनिक तकनीक व मिसाइल प्रौद्योगिकी से लैस होंगे और माना जा रहा है कि इनके भारतीय वायुसेना में शामिल होने से देश की वायु शक्ति में और इजाफा होगा. भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल फाइटर जेट के लिए डील हुई है. ये विमान अगले साल यानी 2019 से भारत आने शुरू हो जाएंगे.
The first delivery( of #rafale) to the IAF is going to take place next year in September as per the contract. It is totally in time: Dassault CEO Eric Trappier pic.twitter.com/l9OhImWu7W
— ANI (@ANI) November 13, 2018
यह एक बहुउपयोगी लड़ाकू विमान है। दासौल्ट कंपनी अक्टूबर 2014 तक 133 विमानों का निर्माण कर चुकी है. इस प्रोजेक्ट की लागत 62.7 बिलियन है. एक विमान की लागत 70 मिलियन आती है. इसकी लंबाई 15.27 मीटर है और इसमें एक या दो पायलट बैठ सकते हैं.
जानकार बताते हैं कि राफेल ऊंचे इलाकों में लड़ने में माहिर है. राफेल एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है. हालांकि अधिकतम भार उठाकर इसके उड़ने की क्षमता 24500 किलोग्राम है. विमान में ईंधन क्षमता 4700 किलोग्राम है. राफेल की अधिकतम रफ्तार 2200 से 2500 तक किमी प्रतिघंटा है और इसकी रेंज 3700 किलोमीटर है. इसमें 1.30 mm की एक गन लगी होती है जो एक बार में 125 राउंड गोलियां निकाल सकती है.
इसके अलावा इसमें घातक एमबीडीए एमआइसीए, एमबीडीए मेटेओर, एमबीडीए अपाचे, स्टोर्म शैडो एससीएएलपी मिसाइलें लगी रहती हैं. इसमें थाले आरबीई-2 रडार और थाले स्पेक्ट्रा वारफेयर सिस्टम लगा है. साथ ही इसमें ऑप्ट्रॉनिक सेक्योर फ्रंटल इंफ्रा-रेड सर्च और ट्रैक सिस्टम भी लगा है.
हालांकि अफगानिस्तान, लीबिया सहित कई स्थानों पर इसकी ताकत आजमाइश हो चुकी है, पर भारतीय संदर्भ में इसमें कुछ बदलाव भी किए गए हैं. इस क्रम में भारतीय वायुसेना की जरूरतों का खास ख्याल रखा गया है. फ्रांसीसी डसॉल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने एएनआई को दिए इंटरव्यू में भी इसका जिक्र किया कि भारतीय वायुसेना इस डील से खुश है.