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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चांद पर भेजे जाने वाले दूसरे महत्वाकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग से करीब 56 मिनट पहले काउंटडाउन रोक दिया गया। इसरो के मुताबिक लॉन्चिंग सिस्टम में एक तकनीकी दिक्कत के चलते यह फैसला लिया गया। 

इसरो प्रवक्ता बीआर गुरुप्रसाद ने इसरो की तरफ से बयान देते हुए कहा कि जीएसएलवी-एमके3 लॉन्च व्हीकल (रॉकेट) में खामी आने की वजह से लॉन्चिंग रोक दी गई है। लॉन्चिंग की अगली तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी।

तड़के 2.51 बजे होने वाली लॉन्चिंग की उल्टी गिनती 56 मिनट 24 सेकंड पहले मिशन कंट्रोल रूम से घोषणा के बाद रात 1.55 बजे रोक दी गई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द लॉन्चिंग देखने के लिए श्रीहरिकोटा में ही थे। इसरो की ओर से लॉन्चिंग टालने की आधिकारिक पुष्टि किए जाने से पहले काफी भ्रम की स्थिति बनी रही।

इसरो ने बयान जारी कर कहा, 'लॉन्चिंग से करीब 1 घंटे पहले लॉन्च वीइकल सिस्टम में एक तकनीकी दिक्कत का पता चला। ऐहतियातन हमने आज लॉन्च होने वाले चंद्रयान-2 मिशन को यहीं रोकने का फैसला किया है। लॉन्चिंग की नई तारीख की घोषणा जल्द ही की जाएगी।'

लॉन्च से करीब 56.24 मिनट पहले इसरो मीडिया सेंटर और विजिटर गैलरी में लाइव स्क्रीनिंग रोक दी गई। कमी देखते ही लॉन्च की प्रक्रिया रोक दी गई। इस रुकावट की वजह से इसरो वैज्ञानिकों की 11 साल की मेहनत को छोटा सा झटका लगा है। हालांकि, इसरो वैज्ञानिकों द्वारा अंतिम क्षणों में यह तकनीकी कमी खोज लेना बड़ा कदम है। अगर इस कमी के साथ रॉकेट छूटता तो बड़ा हादसा हो सकता था। यह वैज्ञानिकों की महारत है कि उन्होंने गलती खोज ली है। इसे जल्द ही ठीक करके वे लॉन्च की नई तारीख घोषित करेंगे।

इसरो के एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'तकनीकी खामी की वजह से लॉन्चिंग को टाला जाता है। लॉन्चिंग विंडो के अंदर लॉन्च करना संभव नहीं है। लॉन्चिंग की नई तारीख की घोषणा बाद में की जाएगी।' अंतरिक्ष एजेंसी ने इससे पहले लॉन्चिंग की तारीख जनवरी के पहले हफ्ते में रखी थी, लेकिन बाद में इसे बदलकर 15 जुलाई कर दिया था।

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चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग पर पूरे देश की नजरें थीं और इसके सफल होने के साथ ही भारत के अंतरिक्ष अभियान के इतिहास में एक स्वर्णिम पन्ना जुड़ जाता। इस मिशन के साथ भारत चांद पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश हो जाता। हालांकि अब इसके लिए कुछ और इंतजार करना पड़ेगा।

अब तक के सबसे शक्तिशाली लॉन्चिंग यान जीएसएलवी मार्क-।।।-एम-1 रॉकेट के साथ 978 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग होने की स्थिति में इसे चंद्रमा तक पहुंचने में 54 दिन लगते। पिछले हफ्ते लॉन्चिंग से जुड़े पूर्ण अभ्यास के बाद रविवार सुबह 6.51 बजे इसके लॉन्चिंग की उल्टी गिनती शुरू हुई थी। 

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मिशन से पहले इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने कहा था कि हमारे काम का सबसे बड़ा उद्देश्य देश, समाज और वैज्ञानिक समुदाय के लिए लाभकारी चीजें तैयार करना है। हम पुरानी हासिल ख्यातियों के भरोसे नहीं रहना चाहते, हम लगातार भविष्य की ओर देखना चाहते हैं और उन चुनौतियों की पहचान करना चाहते हैं जो हमारे काम में आड़े आ सकती हैं। इस प्रकार के मिशन के बारे में सोचने और उसे अमली जामा पहनाने में काफी मेहनत और समन्वय की जरूरत होती है।

वहीं, इसरो के पूर्व अध्यक्ष के राधाकृष्णन ने कहा था कि चंद्रयान-2 भारत का चंद्रमा पर पहला रोबोटिक मिशन है। छह हजार किमी प्रति घंटे की गति से चंद्रमा की परिक्रमा करते लैंडर विक्रम को अपने वेग पर नियंत्रण पाकर चंद्रमा की अनिश्चिता भरी सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी होगी। 16 मिनट में यह सब होगा। इसी वजह से यह बेहद जटिल और दुष्कर भी है। देश इस मिशन को देख रहा है। दूसरी ओर भारत मानव को अंतरिक्ष में भेजने और ग्रहों के अन्वेषण के मुहाने पर खड़ा है, यह हमारी नई पीढ़ी और भविष्य के लिए चुनौतियों भरा है, लेकिन भारी संभावनाओं को खोलेगा।