सांकेतिक तस्वीर
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डॉक्टरों ने 4 घंटे के ऑपरेशन के बाद सीने से लोहे का टुकड़ा निकालकर डॉक्टरों ने एक युवक को नई जिंदगी दी है. दरअसल, बुलंदशहर के सिकंदराबाद में गैस सिलेंडर बनाने वाले एक कारखाने में काम करने वाले सतीश कुमार (32) के सीने में मशीन चलाते समय लोहे का चार सेंटीमीटर टुकड़ा घुस गया था.

हादसा इतना खतरनाक था कि यह टुकड़ा संदीप के सीने को चीरते हुए दिल में प्रवेश कर गया था. उस दौरान काफी खून बह गया था, साथ ही बारीक किनारे वाला टुकड़ा अंदर ही टूट गया था. जिसकी वजह से ह्दय कमजोर हो रहा था.

9 अगस्त का दिन बाकी दिनों की तरह ही सामान्य था, जब वह फैक्ट्री में आयरन ड्रिलिंग कर रहे थे. अचानक उसका एक टुकड़ा उनपर छिटका और उनके सीने को भेद गया. ऐसा लगा मानो बंदूक से निकली कोई गोली उनके सीने में जा लगी हो. यह था धातु का करीब 4 सेंटीमीटर लंबा टुकड़ा. कोई कुछ समझ पाता कि आखिर क्या हुआ, उससे पहले ही सतीश जमीन पर बेसुध गिर पड़े और उनके सीने से तेजी से खून बहने लगा.

उन्हें फ़ौरन स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया तो पता चला कि उनके सीने में लोहे का टुकड़ा घुस गया है. लोहे के टुकड़े की वजह से उनके फेफड़े खराब हो गए और टुकड़ा दिल के राइट चैंबर में घुस गया. शुक्र है कि लोहे का टुकड़ा उस मुख्य धमनी में नहीं घुसा था जो हृदय तक खून पहुंचाने का काम करती है, जिसकी वजह से तत्काल मौत हो सकती थी. चूंकि मेटल का टुकड़ा दिल में धंस गया था, हैमरेज नहीं हुआ जो कि जानलेवा हो सकता था. हालांकि इसका मतलब यह नहीं था कि सतीश को तत्काल सर्जरी किए बगैर बचाया जा सकता था.

सतीश के साथ काम करने वाले तीन लोगों ने बताया कि सिकंदराबाद और गाजियाबाद के तीन अस्पतालों ने उनकी सर्जरी करने से इनकार कर दिया. आखिरकार नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने जोखिम उठाने का फैसला किया.

नोएडा के फोर्टिस अस्पताल में कार्डियो थोराटिक ऐंड वास्कुलर सर्जरी के हेड व अडिश्नल डायरेक्टर वैभव मिश्रा ने कहा, 'मैंने अपने 15 साल के करिअर में ऐसा केस न देखा और न सुना लेकिन हमने फैसला किया कि सर्जरी करेंगे क्योंकि मरीज इंतजार नहीं कर सकता था. 5 घंटों तक कई अस्पतालों में चक्कर काटने के बाद वह फोर्टिस पहुंचा था और खून लगातार बहता ही जा रहा था.'

दोपहर करीब 12:30 बजे मरीज को ऑपरेशन थिअटर ले जाया गया और डॉक्टरों की टीम ने उनका सीना चीरकर मेटल के टुकड़े को बाहर निकाला. आमतौर पर सर्जन दिल की धड़कनों को रोककर हार्ट ऐंड लंग मशीनों के जरिए शरीर के बाकी हिस्सों तक खून पहुंचाते हैं, इस केस में ऐसा नहीं किया गया. दिल धड़क रहा था और सीना चीरकर मेटल निकाला गया, क्योंकि ऐसा न करने से स्ट्रोक का खतरा हो सकता था. डॉक्टरों ने कहा कि एक छोटी-सी गलती भी जान ले सकती थी लेकिन हम सफल हुए.

इस घटना को एक महीना हो चुका है और 4 बच्चों के पिता सतीश फिट हैं, दोबारा काम पर जाने लगे हैं. वह कहते हैं, 'मेरे साथ काम करने वाले लोगों को मेरे जिंदा बचने पर यकीन ही नहीं होता.'