Ramayana
रामानंद सागर की 'रामायण'Twitter

कोरोना वायरस महामारी की वजह से टीवी धारावाहिकों की शूटिंग नहीं होने से मनोरंजन की दुनिया अपने पुराने समय में लौट आई है और दर्शक बंद के दौरान 1980 और 1990 के टीवी के स्वर्णिम युग के कार्यक्रमों का आनंद ले रहे हैं।

'खिचड़ी', 'साराभाई वर्सेज साराभाई', 'बुनियाद' और ' ऑफिस ऑफिस' 80 और 90 के दशक के लोगों को जहां पुरानी यादों में ले जा रहे हैं, वहीं उसके बाद की पीढ़ी को ये कार्यक्रम देश के मूल्यों और उसके सौम्य रूप का परिचय करा रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को देशव्यापी बंद की घोषणा की थी जिसे बढ़ाकर तीन मई तक कर दिया गया है। बंद के नियमों की वजह से कार्यकर्मों के ताजा एपिसोड का निर्माण रूक गया है जिसके बाद टीवी चैनलों ने अपने पिटारे से पुराने कार्यक्रमों को निकालकर बाहर लाना शुरू किया। इसमें खासतर तौर पर महाकाव्य पर बने 'रामायण' और 'महाभारत' हैं।

फिल्म निर्माता रमेश सिप्पी, लेखक-निर्देशक आतिश कपाड़िया, अभिनेता पंकज कपूर, सतीश शाह और रत्ना पाठक शाह का कहना है कि पुराने पिटारे को लाने के लिए इससे अच्छा मौका दूसरा कोई हो नहीं सकता था।

'खिचड़ी' के लेखक-निर्देशक और 'साराभाई वर्सेज साराभाई' के सह-निर्माता कपाड़िया का कहना है कि दोनों ही कार्यक्रमों के प्रगतिशील विचार आज के समय में भी प्रासंगिक हैं।

वहीं 'साराभाई'' के तीन कलाकार सतीश शाह, रत्ना पाठक शाह और सुमीत राघवन का कहना है कि इस चिंताजनक समय में इन कार्यक्रमों को देखना अच्छा है।

सतीश शाह का कहना है कि हंसी सबसे अच्छी दवाई होती है। 'बुनियाद' का निर्देशन करने वाले फिल्म निर्माता रमेश सिप्पी का कहना है कि विभाजन की यह कहानी स्वतंत्रता सेनानी के एक परिवार के सौभाग्य और दुर्भाग्य से होकर गुजरती है। उन्हें इस बात की खुशी है कि तीन दशक के बाद इसका प्रसारण हो रहा है और उन्हें उम्मीद है कि युवा पीढ़ी को यह पसंद आएगी।

वहीं अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया (दोनों ने रामायण में राम-सीता का किरदार निभाया है) का मानना है कि रामायण पुरानी और नई पीढ़ी को जोड़ने का काम करेगा। उनका कहना है कि रामायण को अभी टीवी पर दिखाने का सही समय है क्योंकि पूरा परिवार अभी घर पर है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.