उत्तर प्रदेश में हिंसा के मामलों में रासुका की वजह से पिछले एक साल से जेल में बंद भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण को यूपी पुलिस ने रिहा कर दिया है. हालांकि, अभी तक यह बात स्पष्ट नहीं हो पाई है कि भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण पर से रासुका हटाया गया है या नहीं. मगर पुलिस की ओर से जो बयान जारी हुआ है, उसके मुताबिक, चंद्रशेखर को उनकी मां की वजह से रिहा किया गया है. बता दें कि भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर को शुक्रवार तड़के करीब पौने तीन बजे रिहा किया गया. वह बीते साल भर से साहरनपुर की जेल में बंद थे.
तड़के जब रावण को जेल से रिहा किया गया, उस समय भीम आर्मी के सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे. रावण की रिहाई के बाद उनके चेहरे पर ख़ुशी साफ दिख रही थी. उन्होंने रिहाई के बाद रावण के समर्थन में नारेबाजी भी की. जेल से छूटकर घर पहुंचे रावण ने बीजेपी पर जमकर भड़ास निकाली. उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकना है.
रावण ने समर्थकों से कहा, "न सोएंगे और न सोने देंगे जब तक कि 2019 में बीजेपी को सत्ता से उखाड़ न दें. कोई स्वागत समारोह नहीं होगा. अगर कोई सोच रहा है तो वह उसे मन से निकल दे. मैं जेल से बाहर काम करने के लिए आया हूं."
जेल से रिहा होने के बाद भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखऱ ने कहा कि 'सरकार डरी हुई थी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट उसे फटकार लगाने वाली थी. यही वजह है कि अपने आप को बचाने के लिए सरकार ने जल्दी रिहाई का आदेश दे दिया. मुझे पूरी तरह विश्वास है कि वे मेरे खिलाफ दस दिनों के भीतर फिर से कोई आरोप लगाएंगे. मैं अपने लोगों से कहूंगा कि साल 2019 में बीजेपी को उखाड़ फेंकें.'
Govt was so scared that they are going to be rebuked by Supreme Court, that they ordered an early release to save themselves. I'm confident that they'll frame some charges against me within 10 days: I'll ask my ppl to throw BJP out of power in 2019: Bhim Army Chief Chandrashekhar pic.twitter.com/h9JmBfQGmm
— ANI UP (@ANINewsUP) September 14, 2018
योगी सरकार के इस फैसले लोकसभा चुनावों से पहले दलितों की नाराजगी दूर करने के दांव के तौर पर देखा जा रहा है. पश्चिम उत्तर प्रदेश में भीम आर्मी का खासा प्रभाव है, जो दलित आंदोलन के जरिए अपनी जड़ें जमाना चाहती है. हाल में हुए कैराना और नूरपुर के उपचुनावों में बीजेपी को मिली करारी शिकस्त के पीछे भीम आर्मी के दलित-मुस्लिम गठजोड़ को बड़ी वजह माना जा रहा था.
जानिये कब क्या हुआ
5 मई, 2017- सहारनपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर शिमलाना में महाराणा प्रताप जयंती का आयोजन किया गया. इसमें शामिल होने जा रहे युवकों की शोभा यात्रा पर दलितों ने आपत्ति जताई थी और पुलिस बुला ली गई. विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों तरफ से पथराव होने लगे थे, जिसमें ठाकुर जाति के एक युवक की मौत हो गई थी. इसके बाद शिमलाना गांव में जुटे हज़ारों लोग करीब तीन किलोमीटर दूर शब्बीरपुर गांव पहुंच गए. यहां भीड़ ने दलितों के 25 घर जला दिए थे. इस हिंसा में 14 दलित गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
9 मई, 2017- दलित युवाओं के संगठन भीम आर्मी ने सहारनपुर के गांधी पार्क में एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया. इसमें हजारों प्रदर्शनकारी जमा हुए थे. पुलिस ने इन्हें रोकने की कोशिश की थी. पुलिस के रोकने के कारण प्रदर्शनकारियों का आक्रोश बढ़ा और गई जगहों पर भीड़ और पुलिस में झड़पें हुईं.
21 मई, 2017 - दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक प्रदर्शन का आयोजन किया गया. इसमें चंद्रशेखर रावण सार्वजनिक रूप से सामने आया. इसके तीन दिन बाद बसपा सुप्रीमो मायावती शब्बीरपुर के पीड़ित दलित परिवारों से मिलने गईं. मायावती की सभा से लौट रहे दलितों पर ठाकुर समुदाय के लोगों ने हमला कर दिया था, जिसमें एक दलित युवक की मौत हो गई थी. तनाव और हिंसा पर काबू न पाने के कारण सहारनपुर के दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, एसएसपी और जिलाधिकारी को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने निलंबित कर दिया था.
8 जून, 2017- उत्तर प्रदेश पुलिस ने भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से गिरफ़्तार कर लिया था.
2 नवंबर 2017- चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सभी मामलों में जमानत दे दी. चंद्रशेखर को दंगे से जुड़े सभी चार मामलों में जमानत मिली. उस पर सहारनपुर में हत्या के प्रयास, आगजनी और अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज था.
4 नवंबर 2017- चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी राहत नहीं मिली. चंद्रशेखर को बेल मिलने के बाद पुलिस ने उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत केस दर्ज किया.
28 जनवरी 2018- योगी सरकार ने चंद्रशेखर पर रासुका की अवधि तीन माह के लिए बढ़ाई.
14 सितंबर 2018- चंद्रशेखर आजाद को जेल से रिहा किया गया.