आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव
आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादवReuters file

नागरिकता संशोधन विधेयक और एनआरसी के कारण उपजे विवादों और विरोध प्रदर्शन के बीच जेल में बंद और बीमार आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने संकेत दिया है कि अभी उनमें दमखम बाकी है, राजनीतिक रूप से वह अभी समाप्‍त नहीं हुए हैं। जहां जनता दल यूनाइटेड के स्टैंड को लेकर पार्टी के भीतर अल्पसंख्यक नेताओं में नाराजगी देखने को मिल रही है वहीं विपक्षी लालू खेमा इस अवसर का लाभ उठाने के लिए आतुर दिख रहा है. शुक्रवार को आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया जिसमें अल्पसंख्यकों को संबोधित करते हुए लालू यादव को मुस्लिमों का संरक्षक बताने की कोशिश की गई है. इस ट्वीट में एक शेर लिखा है. साथ ही एक पुराना वीडियो भी शेयर किया गया है.

इस ट्वीट में लालू ने लिखा है, 'अभी आंखों की शमाएं जल रही हैं उसूल जिंदा है, आप लोग मायूस मत होना अभी बीमार ज़िंदा है, हजारों जख्म खाकर भी मैं दुश्मन के मुक़ाबिल हूं, खुदा का शुक्र अब तक दिल-ए-खुद्दार जिंदा है।' जाहिर सी बात है कि चारा घोटाले में सजा काट रहे लालू की ओर से यह ट्वीट उनके किसी नजदीकी ने पोस्‍ट किया होगा लेकिन इससे लालू ने यही संदेश देने की कोशिश की है वह अभी भी मैदान में हैं।

इसी ट्वीट के साथ एक पुराना विडियो भी है जिसमें लालू प्रसाद यादव को एक सार्वजनिक सभा में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की कड़ी आलोचना करते देखा जा सकता है। इसमें लालू विदेशों से काला धन लाने के अपने वादे को पूरा न करने और आरएसएस के 'सांप्रदायिक अजेंडे' के लिए सरकार की खिंचाई कर रहे हैं।

गौरतलब है कि अतीत में लाल कृष्‍ण आडवाणी की रथ यात्रा रोकने और अपने 15 वर्ष के कार्यकाल में सांप्रदायिक दंगों पर लगाम लगाए रखने की वजह से उनकी मुसलमानों में अपार लोकप्रियता रही है। लेक‍िन पिछले कुछ वर्षों में मुसलमानों का झुकाव नीतीश कुमार की जेडीयू की तरफ हो गया था। हाल में नागरिकता संशोधन विधेयक के मुद्दे पर संसद में सरकार को मिले जेडीयू के समर्थन के बाद लालू को उम्‍मीद है कि वह फिर से मुस्लिम समुदाय को आरजेडी की ओर खींच सकते हैं।

आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल पर लोकसभा और राज्यसभा में जेडीयू ने सरकार का समर्थन किया है। हालांकि जेडीयू के इस कदम को लेकर पार्टी के भीतर ही विरोध के सुर उठ रहे हैं। जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने भी अपनी पार्टी के इस रुख का विरोध किया है।

प्रशांत किशोर ने ट्वीट करते हुए कहा, 'संसद में बहुमत कायम रहा। अब न्यायपालिका से परे, भारत की आत्मा को बचाने की जिम्मेदारी 16 राज्यों के गैर भाजपा मुख्यमंत्रियों के ऊपर है, क्योंकि ये वो राज्य हैं, जिन्हें इस बिल को लागू करना है। पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों ने नागरिकता संशोधन बिल और एनआरसी को नकार दिया है। अब समय आ गया है कि दूसरे गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी अपना रुख स्पष्ट करें।'

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.