देश में खुदरा महंगाई में मामूली गिरावट आई है और यह अब 3.15 प्रतिशत के स्तर पर जा पहुंची है। महंगे खाद्य उत्पादों के बावजूद जुलाई महीने में रिटेल महंगाई में गिरावट देखने को मिली है। मंगलवार शाम को जारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य सामग्री की महंगाई 2.36 फीसदी रही, जबकि इससे पहले जून महीने में यह 2.25 फीसदी थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के मुताबिक 2018 में जून में खुदरा महंगाई की दर 3.18 फीसदी थी और जुलाई में यह 4.17 फीसदी थी।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक खाद्य सामग्री की महंगाई जुलाई में 2.36 फीसदी थी। इससे पहले वाले महीने में यह आंकड़ा 2.25 फीसदी थी। खुदरा महंगाई का यह स्तर रिजर्व बैंक की ओर से तय लक्ष्य से भी नीचे है।
रिजर्व बैंक ने खुदरा महंगाई के लिए 4 फीसदी का लक्ष्य तय किया है। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक हर दो महीने पर अपनी मौद्रिक नीति में रिटेल महंगाई की दर को लेकर अपना लक्ष्य तय करता है।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई के दौरान सब्जियों की खुदरा महंगाई माह दर माह आधार पर घटकर 2.82 फीसदी पर आ गई, जो जून में 4.66 फीसदी पर थी। हालांकि दालों की खुदरा महंगाई बढ़कर 6.82 फीसदी हो गई, जो जून 2019 में 5.68 फीसदी थी। जुलाई में खाद्य पदार्थों की खुदरा महंगाई जून के 2.25 फीसदी से बढ़कर 2.36 फीसदी पर पहुंच गई।
जुलाई के दौरान फ्यूल एंड लाइट के लिए खुदरा महंगाई -0.36 फीसदी रही, जो जून 2019 में 2.32 फीसदी थी। हाउसिंग सेक्टर के मामले में खुदरा महंगाई जून के 4.84 फीसदी से बढ़कर 4.87 फीसदी पर पहुंच गई। क्लोथिंग एंड फुटवियर की खुदरा महंगाई जुलाई में बढ़कर 1.65 फीसदी हो गई, जो जून में 1.52 फीसदी पर थी।
खुदरा महंगाई में इस कमी ने एक बार फिर यह साबित किया है कि रीपो रेट में कटौती का आरबीआई का फैसला कितना जरूरी था। महंगाई में गिरावट का स्पष्ट संकेत है कि मांग में गिरावट आई है। ऐसे में आरबीआई अब अक्टूबर में जारी होने वाली अपनी मौद्रिक नीति में एक बार फिर से रीपो रेट में कटौती कर सकता है।
आरबीआई देश में लगातार मांग में इजाफे के उद्देश्य से रीपो रेट में कटौती कर रहा है। हाल ही में आरबीआई ने रीपो रेट को 5.4 फीसदी तक किया था, जो 9 साल के निम्नतम स्तर पर है।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।