कोरोना वायरस संकट पर जी-20 बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार, 26 मार्च को कहा वैश्विक समृद्धि, सहयोग के लिए हमारे दृष्टिकोण के केन्द्र बिंदु में आर्थिक लक्ष्यों के स्थान पर मानव को रखा जाए। उन्होंने आपस में जुड़ी दुनिया के लिए नए संकट प्रबंधन प्रोटोकॉल और कार्यप्रणाली तैयार करने की हिमायत की। पीएम मोदी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी उपस्थित थे।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानव के विकास के लिए मेडिकल शोध को स्वतंत्र रूप से और खुल कर साझा करने की अपील की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया भर में कहीं अधिक अनुकुल, प्रतिक्रियात्मक और सस्ती मानव स्वास्थ्य सुविधा प्रणाली का विकास करने की जरूरत है।
जी-20 वीडियो कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री मोदी ने स्वास्थ्य सुविधा से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) जैसे वैश्विक संगठनों को मजबूत करने की अपील करते हुए कहा कि वैश्विक महामारी से निपटने के लिए प्रभावी टीका विकसित करने के वास्ते डब्ल्यूएचओ को मजबूत करना जरूरी है।
उन्होंने इस बात पर भी मजबूती से बल दिया कि जी-20 को कोरोना वायरस महामारी से उपजी आर्थिक मुश्किलों से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए।
यह आपातकालीन बैठक ऐसे समय में हुई है जब कोरोना वायरस के संक्रमण से दुनिया भर में 21 हजार से अधिक मौतें हो चुकी हैं। इस मुद्दे पर सुस्ती बरतने को लेकर जी20 की आलोचना हो रही थी। इसके अलावा सऊदी अरब और रूस के बीच विवाद के कारण कच्चा तेल की कीमतें भी 30 डॉलर के स्तर से नीचे चली गई हैं।
वहीं, जी20 देशों के नेताओं ने कोरोना वायरस से फैली वैश्विक महामारी के खिलाफ एकजुटता दिखाते हुए इससे लड़ने के लिए विश्व की अर्थव्यवस्था में पांच हजार अरब डॉलर खर्च करने का बृहस्पतिवार (26 मार्च) को ऐलान किया।
चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस संक्रमण लगभग पूरे विश्व को अपने चपेट में ले चुका है। इसके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी की दहलीज पर पहुंच गई है। इसी के मद्देनजर सऊदी अरब के सुल्तान किंग सलमान की अध्यक्षता में जी20 देशों की आपातकालीन बैठक हुई। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए शामिल हुए।
दूसरी ओर, सऊदी अरब के शाह सलमान ने गुरुवार को समूह- 20 के नेताओं से आग्रह किया कि वे कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न वैश्विक संकट से निपटने के लिए "प्रभावी और समन्वित" कार्रवाई करें। इसके साथ ही उन्होंने विकासशील देशों की मदद करने का भी आह्वान किया। शाह समूह- 20 के नेताओं की हुई आकस्मिक ऑनलाइन बैठक को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने अपने आरंभिक संबोधन में कहा कि हमें इस वैश्विक महामारी के मद्देनजर प्रभावी और समन्वित कार्रवाई करनी होगी तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था में विश्वास बहाल करना होगा। उन्होंने कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम विकासशील देशों और कम विकसित देशों की मदद के लिए हाथ बढ़ाएं ताकि उनकी क्षमताओं का निर्माण हो सके और वे इस संकट और इसके नतीजों का मुकाबला करने के लिए अपने बुनियादी ढांचे को बेहतर बना सकें। वहीं, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कोरोना वायरस को लेकर जी-20 देशों की वार्ता में शुल्क कटौती का आह्वान किया।
जी-20 वर्चुअल क्रॉन्फ्रेंस का सुझाव मोदी ने ही दिया था, जिसे मौजूदा मुखिया सऊदी अरब के किंग मोहम्मद बिन सलमान ने स्वीकार कर लिया था। सऊदी अरब ने ही समिट की अध्यक्षता की। बुधवार को मोदी ने ट्वीट किया था कि कोरोनावायरस से निटपने में जी-20 की भूमिका अहम होगी।
बैठक में कोरोना महामारी से पैदा हो रहे हालात और आर्थिक संकट पर चर्चा हुई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, डब्ल्यूएचओ, विश्व व्यापार संगठन, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन जैसे शीर्ष संगठन भी शामिल हुए। इसके अलावा आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन), अफ्रीकी संघ, खाड़ी सहयोग परिषद और अफ्रीका के विकास के लिये नई भागीदारी (एनईपीएडी) जैसे क्षेत्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। जी-20 में भारत के अलावा, अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं।
2022 में जी-20 देशों की अगुआई करने की जिम्मेदारी भारत के पास आ जाएगी। ऐसे में अभी कोरोनावायरस की चुनौतियों को लेकर जो फैसला किया जाएगा, उन्हें आगे लागू करने में भारत को भी अहम जिम्मेदारी निभानी होगी। जी-20 में दुनिया के सबसे प्रभावशाली 20 देश शामिल हैं। इसका गठन 2007-08 के वैश्विक मंदी के बाद किया था। उसके पहले तक दुनिया के सबसे ताकतवर सात देशों का एक संगठन समूह-7 काम करता था।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी एएफपी द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.