दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को आईएनएक्स मीडिया केस में आरोपी वरिष्ठ कांग्रेस नेता और देश के पूर्व वित्त और गृह मंत्री पी चिदंबरम को जमानत देने से इनकार कर दिया। चिदंबरम को 21 अगस्त को उनके जोर बाग स्थित आवास से सीबीआई ने गिरफ्तार किया गया था और वे इन दिनों दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। उन्हें 3 अक्टूबर तक तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में रखा गया है।
सीबीआई ने यह कहते हुए चिदंबरम की जमानत का विरोध किया था कि यह एक गंभीर अपराध है और चिदंबरम को इस बात का अहसास है कि उन्हें दोषी ठहराया जा सकता है। ऐसे में चिदंबरम भागने की कोशिश कर सकते हैं। जांच एजेंसी की तरफ वकीलों की टीम ने कोर्ट में दलीलें दीं। इसमें सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सीनियर वकील अमित महाजन भी शामिल थे। इन वकीलों ने कोर्ट में दलील दी कि चिदंबरम के पास विदेश में बसने के संसाधन हैं। ऐसे में जब तक उनका ट्रायल पूरा नहीं होता तब तक उन्हें रिहा नहीं किया जाना चाहिए।
दोनों तरफ की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस सुरैश कैत ने तीन आधार पर चिदंबरम की जमानत का फैसला लिया। ये तीन आधार थे, देश छोड़कर जाने का खतरा, सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित करना।
सीबीआई द्वारा उनके देश छोड़कर भागने की दलील से कोर्ट कतई भी सहमत नहीं हुई। कोर्ट ने कहा कि ऐसे सबूत नहीं हैं कि चिदंबरम ने कभी भी देश छोड़कर भागने की कोशिश की हो। अथॉरिटीज ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया हुआ है।
सीबीआई की दलील थी कि यदि चिदंबरम जमानत पर जेल से बाहर जाते हैं तो वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि इस केस से जुड़े दस्तावेज जांच एजेंसी के कब्जे में हैं। एक सांसद होने के सिवा उनके पास कोई ताकत भी नहीं हैं।
ऐसे में उनके द्वारा सबूतों से छेड़छाड़ का कोई चांस ही नहीं है। जज ने कहा कि इस मामले में हम चिदंबरम के वकील की दलीलों से सहमत हैं।
इस मामले में कोर्ट ने सीबीआई की दलीलों पर सहमति जताई कि इस बात की संभावना है कि चिदंबरम को जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास कर सकते हैं।
कोर्ट इस बात से भी वकिफ है कि वह अपने समय में गृह मंत्री और वित्त मंत्री के अहम पद पर रह चुके हैं। वह अभी एक सांसद भी हैं। देश में वह एक बड़े वकील के तौर पर भी जाने जाते हैं।
आर्थिक अपराध देश में वित्तीय स्थायित्व को प्रभावित करते हैं, यह दावा करते हुए सीबीआई ने कोर्ट से कहा कि चिदंबरम को इसलिए भी जमानत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि एजेंसी ने पूछताछ के दौरान कुछ सबूतों का खुलासा किया था। ऐसे में जेल से बाहर जाने पर वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
इससे पहले चिदंबरम ने अपने वकील अर्शदीप सिंह के माध्यम से दाखिल की गई याचिका में दावा किया था एक वित्त मंत्री से सैकड़ों डेलिगेशन मिलने आते हैं। उन्हें याद नहीं है कि आईएनएक्स मीडिया का डेलिगेशन उनसे कब मिलने आया था।
हालांकि सीबीआई ने दलील दी कि चिदंबरम ने इंद्राणी मुखर्जी से मुलाकात की थी और पूछताछ के दौरान पता चला था कि वित्त मंत्री के दफ्तर में उस समय विजिटर रजिस्टर नहीं था। एजेंसी ने कहा कि उनके पास इंद्राणी और पीटर मुखर्जी की कार की जानकारी है, जो चिदंबरम के दफ्तर में पार्किंग में आई थी।
बता दें कि सीबीआई ने 15 मई 2017 को चिदंबरम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। उन पर आईएनएक्स मीडिया ग्रुप को क्लीयरेंस देने के लिए एफआईपीबी में अनियमितता बरतने का आरोप है। चिदंबरम पर आरोप है कि इसकी ऐवज में उन्हें 305 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। इसके बाद इस मामले में ही ईडी ने भी 2017 में चिदंबरम के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।