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क्रिकेट की दुनिया में कई अजीबोगरीब गेंदबाजी एक्शन देखे जा चुके हैं. इसी कड़ी में एक और एक्शन का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया है. इस वीडियो में वह बॉलर गेंद डालने से पहले पूरी तरह घूम जाता है और फिर गेंद फेंकता है. लेकिन अंपायर विनोद शेषन उस गेंद को 'डेड बॉल' करार देते हैं. इस फैसले से गेंदबाजी टीम खुश नहीं दिखती है और अंपायर से लंबी बहस करती है. अपने समय के दिग्गज स्पिनर रहे बिशन सिंह बेदी ने इसका वीडिया भी अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से शेयर किया है.

दरअसल, यह वीडियो कोलकाता के कल्याणी में खेले गए बंगाल और उत्तर प्रदेश के बीच सीके नायडू ट्रॉफी (अंडर-23 राज्य टीमों के लिए चार दिवसीय घरेलू टूर्नामेंट) के तीसरे दिन का है. ये गेंदबाज यूपी के बाएं हाथ के स्पिनर शइवा सिंह हैं, जिन्होंने अंडर 23 सीके नायडू ट्रॉफी में बंगाल के खिलाफ इस एक्शन के साथ गेंदबाजी की थी. शिवा सिंह अंडर-19 वर्ल्ड कप विजेता भारतीय टीम के सदस्य रह चुके हैं.

पिछले हफ्ते हुए इस मैच में शिवा सिंह गेंद फेंकने से पहले 360 डिग्री घूमे. हालांकि इस गेंद को अंपायर ने डेड बॉल करार दिया, जिससे यूपी टीम नाराज दिखी. दरअसल टीम का तर्क था कि अगर बल्लेबाज अजीबोगरीब अंदाज में घूम सकता है तो गेंदबाज क्यों नहीं. हालांकि अंपायर विनोद शेहशान ने लेग अंपायर रवि शंकर से चर्चा के बाद इसे डेड बॉल करार दिया.

शिवा ने क्रिकइंफो से कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब उन्होंने इस 'तरीके' से गेंदबाजी की. शिवा ने दावा किया कि उन्होंने पिछले महीने विजय हजारे ट्रॉफी (सीनियर 50 ओवरों का टूर्नामेंट) में केरल के खिलाफ 360 डिग्री की शैली की कोशिश की थी, जिसे अंपायरों ने गलत नहीं माना था.

कुछ को लगता है यह एक्शन पूरी तरह सही है, तो कई अंपायर के फैसले को सही मानते हैं. यूपी ने तीन दिनों में बंगाल पर पारी से जीत दर्ज की, शिवा ने मैच में चार विकेट चटकाए.

शिवा ने कहा, 'मैं एक दिवसीय और टी -20 में गेंदबाजी के दौरान अलग-अलग बदलावों का इस्तेमाल करता हूं. बंगाल के बल्लेबाजों के बीच साझेदारी हो रही थी, इस वजह से मैंने ऐसी गेंदबाजी की. लेकिन अंपायरों ने मेरी गेंद को डेड करार दिया, मैं पूछना चाहता हूं कि उन्होंने गेंद को डेड बॉल क्या कहा?'

एलीट पैनल के पूर्व अंपायर साइमन टफेल शिवा के मामले में अंपायर विनोद शेषन से जरूर सहमत हैं. उनका कहना है, 'नियमों की धारा 20.4.2.1 (अनुचित खेल) या 20.4.2.7 (जानबूझकर ध्यान भंग करने / धोखाधड़ी / बाधा डालने के जानबूझकर प्रयास) के तहत अंपायर गेंद को 'डेड' करार देने का हकदार है.
साथ ही टफेल का कहना है कि यह अंपायर पर निर्भर करता है कि वह क्या निर्णय लेता है. लेकिन यह भी भांपना होगा कि गेंदबाज ने ऐसा क्यों किया. कहीं ऐसा करने की एकमात्र वजह स्ट्राइकर को विचलित करना तो नहीं थी? दूसरी तरफ अगर यह उसकी सामान्य गेंदबाजी है, तो शायद इसका अलग परिणाम हो सकता है.