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दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच तीस हजारी कोर्ट में हुए विवाद को लेकर मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे पुलिस के जवानों ने मंगलवार दोपहर कमिश्नर अमूल्य पटनायक के सामने ही पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी के समर्थन में नारे लगाए। गौरतलब है कि मंगलवार (5 नवंबर) को वकीलों द्वारा उनके खिलाफ हिंसा की लगातार बढ़ रही घटनाओं के विरोध में दिल्ली पुलिस के सैकड़ों जवानों ने आईटीओ स्थित दिल्ली पुलिस मुख्यालय का घेराव किया।

पुलिस फोर्स में ऐसे नजारे कम ही दिखने को मिलते हैं, जब पुलिसकर्मी अपने ही सीनियर से नाराज दिखते हों। पुलिसवालों और वकीलों के बीच तीसहजारी कोर्ट में झड़प के बाद मामले को जिस तरह से लिया गया, उससे अपने सीनियर अधिकारियों से पुलिसवाले नाराज हैं।

इस बीच पुलिसकर्मी कई तरह के नारे लिखी तख्तियां लेकर प्ररदर्शन कर रहे हैं जिसमें उन्होंने अपनी मांगें लिखी हैं। पुलिसवाले एक नारा यह भी लगा रहे हैं कि, 'पुलिस कमिश्नर कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो'। यह नारा पुलिसवालों ने तब भी लगाया जब कमिश्नर अमूल्य पटनायक उन्हें मनाने के लिए आए थे।

किरण बेदी फिलहाल पुड्डुचेरी की लेफ्टिनेंट गवर्नर हैं लेकिन उन्होंने दिल्ली पुलिस में अपनी सेवा के दौरान पुलिस कर्मियों के लिए ऐसा क्या किया था जिस वजह से पुलिस कर्मी उन्हें याद कर रहे हैं?

इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें 31 साल पहले 1988 की उस घटना को याद करना होगा जब किरण बेदी उत्तरी दिल्ली की डिप्टी कमिश्नर हुआ करती थीं। विवाद दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज में चोरी के मामले से शुरू हुआ और इस मामले में शक के तौर पर कॉलेज कैंपस से पुलिस ने एक वकील को हथकड़ी लगाकर गिरफ्तार किया।

वकील को हथकड़ी लगाने के मामले ने विवाद पकड़ा और दिल्ली के वकीलों ने किरण बेदी के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का मोर्चा खोल दिया। वकीलों का तर्क था कि किसी भी आरोपी को हथकड़ी लगाना गैर कानूनी है। ऐसा कहा जाता है कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान वकीलों और पुलिस के बीच कई झड़पें हुई और ऐसी ही एक झड़प में 21 जनवरी 1988 को 18 वकील जख्मी हो गए। इस मामले ने तूल पकड़ा और दिल्ली की निचली अदालतों सहित उच्च और उच्चतम अदालतों के वकीलों ने भी किरण बेदी का विरोध करना शुरु कर दिया।

उस समय वकीलों ने आरोप लगाया कि तीस हजारी कोर्ट में 3 हजार लोगों की भीड़ ने अदालत परिसहर में घुसकर वकीलों की गाड़ियां और चेंबर तोड़ दिए। वकीलों का आरोप था कि भीड़ ने यह सब किरण बेदी के कहने पर किया।

इस घटना के बाद वकील किरण बेदी की बर्खास्तगी की मांग करने लगे और 20 फरवरी 1988 को फिर से किरण बेदी के दफ्तर के नजदीक पुलिस कर्मियों और वकीलों के बीच झड़प हुई।

इस पूरे मामले की जांच के लिए बनी न्यायिक कमेटी के सामने किरण बेदी ने 20 फरवरी की घटना के बारे में सफाई देते हुए कहा था कि वकीलों ने एक महिला पुलिस कर्मी को धक्का दिया था और साथ में महिला पुलिस कर्मी पर अभद्र टिप्पणियां भी कर रहे थे।

1988 में हुई इस घटना की यादें एक बार फिर से ताजा हो गई हैं, एक बार फिर से दिल्ली पुलिस और दिल्ली के वकील आमने-सामने हैं और दिल्ली पुलिस के कर्मी किरण बेदी को याद कर रहे हैं।