निर्भया की मां ने अपनी बेटी के साथ दरिंदगी करने वालों में से एक दोषी के सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका के खिलाफ हस्तक्षेप अर्जी दाखिल की है। फांसी की सजा पाए चार आरोपियों में से एक अक्षय ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है। इसके खिलाफ निर्भया की मां ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। अक्षय ठाकुर की अर्जी पर शीर्ष अदालत ने 17 दिसंबर को सुनवाई का फैसला लिया है।
निर्भया की मां आशा देवी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि दोषी कानूनी दांवपेंच खेलकर सजा से बच रहे हैं, पहले ही इस मामले को सात साल हो चुके हैं।
इससे पहले दिल्ली की एक अदालत में भी शुक्रवार को चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वॉरंट जारी करने को लेकर सुनवाई हुई, लेकिन कोर्ट ने वॉरंट जारी करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि अभी एक दोषी की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में है। उससे पहले डेथ वॉरंट पर आदेश नहीं दिया जा सकता।
गौरतलब है कि अक्षय को ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। इसकी सजा को दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था। अक्षय ने पुनर्विचार याचिका में सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा पर फिर से विचार करने की मांग की है। दोषी ने सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका दाखिल करने में हुई देरी के लिए भी माफी की बात कही है।
इस बीच तिहाड़ जेल प्रशासन देश को दहला देने वाले निर्भया कांड के दोषियों को फांसी देने की तैयारियों में जुटा है। जेल सूत्रों के मुताबिक एक साथ ही चारों को फांसी देने के लिए एक नई तकनीक का परीक्षण किया जा रहा है। फांसी के तख्त में कुछ बदलाव के जरिए यह काम किया जा रहा है। इसके अलावा यह भी देखा जा रहा है कि क्या चार लोगों का वजन एक बार में यह उठा सकता है या नहीं।
सूत्रों ने कहा कि यह जरूरी है कि चारों दोषियों को एक ही साथ फांसी पर लटकाया जाए। इसकी वजह यह है कि यदि किसी शख्स को बेचैनी के चलते समस्या हो जाती है या फिर वह बीमार हो जाता है तो फांसी टालनी होगी।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.