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जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों के तौर पर पुनर्गठित करने के प्रस्ताव वाले विधेयक को राज्यसभा से मंजूरी मिलने के साथ ही जम्मू-कश्मीर में सरगर्मी लगातार बढ़ती जा रही है। उच्च सदन ने इस विधेयक को पारित करने के बाद राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को सोमवार देर शाम गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार के बाद इन्हें श्रीनगर के हरि निवास गेस्ट हाउस में रखा गया है।

इन दोनों नेताओं के अलावा जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन और इमरान अंसारी को भी गिरफ्तार किया गया है।

अधिकारियों ने इस बारे में विस्‍तृत जानकारी देने से इनकार करते हुए बताया कि जल्‍द ही कुछ और नेताओं की भी गिरफ्तारी हो सकती है। महबूबा मुफ्ती को उनके घर से सरकारी गेस्ट हाउस ले जाया गया है, जहां उन्हें कुछ समय के लिए रखा जा सकता है। गौरतलब है कि पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती के अलावा उमर अब्दुल्ला और स्थानीय नेता सज्जाद लोन को भी रविवार देर रात नजरबंद कर दिया गया था।

घाटी में अनुच्छेद 370 को खत्म करने को लेकर प्रतिक्रिया स्वरूप होने वाली किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। इसके अलावा पूरे जम्मू-कश्मीर में धारा 144 लागू करने के अलावा इंटरनेट और केबल टीवी नेटवर्क को बंद कर दिया गया है।

घाटी में मोबाइल, लैंडलाइन, ब्रॉडबैंड समेत सभी इंटरनेट सेवा शनिवार रात से ही पूरी तरह से बंद कर रखी हैं। वहीं घाटी में सभी अधिकारियों को सैटेलाइट फोन दिए गए हैं, ताकि आपस में संपर्क बना रहे।

इससे पहले महबूबा मुफ्ती ने अमित शाह द्वारा संसद में प्रस्ताव पेश करने के तुरंत बाद ट्वीट करते हुए कहा, 'आज का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला दिन है। आज 1947 की तत्कालीन जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा 'टू नेशन थ्योरी' को रिजेक्ट करने का फैसला गलत साबित हुआ है। सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को खत्म करने का फैसला पूरी तरह से अवैध और असंवैधानिक है।'

वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नैशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने अपने बयान में कहा था, 'भारत सरकार द्वारा लिए गए एकपक्षीय और चौंकाने वाले फैसले ने उस विश्वास के साथ धोखा किया है, जिसके साथ राज्य के लोग साल 1947 में भारत के साथ आए थे। इस फैसले के दूरगामी और बेहद गंभीर परिणाम होंगे। यह ऐलान उस वक्त किया गया, जबकि पूरी कश्मीर घाटी एक आर्मी के कैंप के रूप में तब्दील हो चुकी है। केंद्र का फैसला एक पक्षीय, अवैध और असंवैधानिक है और नैशनल कॉन्फ्रेंस इसे चुनौती देगी।'