चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप को साजिश बताने वाले वकील को उच्चतम न्यायालय की बेंच ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। वकील ने सनसनीखेज दावा करते हुए कहा था कि सीजेआई के खिलाफ साजिश के तहत यह फर्जी आरोप लगाया गया है ताकि वह अपने पद से इस्तीफा दे दें। जस्टिस अरुण मिश्रा के नेतृत्व वाली तीन जजों की बेंच ने वकील उत्सव सिंह बैंस को नोटिस जारी कर उनके दावे को लेकर जवाब मांगा है।
बैंस ने दावा किया था कि उन्हें आरोप लगाने वाली महिला का केस लड़ने के लिए 1.5 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया था। जस्टिस अरुण मिश्रा, आरएफ नरीमन और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने इस मामले को जनता और न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए अहम करार देते हुए इसकी अगली सुनवाई बुधवार 10:30 बजे तय की है।
Three-judge Bench of SC issues notice to advocate Utsav Bains, who has claimed there is a conspiracy to frame up CJI Ranjan Gogoi in sexual harassment case. A Bench of Justice Arun Mishra,Justice Rohinton Fali Nariman&Justice Deepak Gupta posts the matter for hearing for tomorrow pic.twitter.com/zTvIx8YDhM
— ANI (@ANI) April 23, 2019
बैंस का कहना है कि एक अज्ञात व्यक्ति ने उनसे सीजेआई के खिलाफ प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में 1.5 करोड़ रुपये लेने के बदले एक मीडिया कॉन्फ्रेंस आयोजित करने को भी कहा था। ताकि वह घबराकर अपने पद से इस्तीफा दे दें। लेकिन मैंने ये ऑफर ठुकरा दिया। बता दें बैंस ने ये पूरी कहानी एक फेसबुक पोस्ट में कही है।
वकील बैंस का कहना है कि उस शख्स ने आसाराम केेस में पीड़िता के पक्ष में किए गए मेरे काम की सराहना की और दावा किया कि वह पीड़िता का रिश्तेदार है। लेकिन ऐसा नहीं लगता। वो एक ट्रेड एजेंट की तरह बात कर रहा था।
और ना ही सवालों का संतोषजनक जवाब दे पा रहा था। मैंने जब उससे पूछा की पीड़िता से आपका क्या रिश्ता है? तो वो अचानक मुझसे कहने लगा कि अगर मैं पीड़िता की पैरवी करता हूं, तो इस केस के लिए मुझे 50 लाख रुपये मिलेंगे।
बैंस आगे कहते हैं, मैंने उस आदमी को अपने ऑफिस से चले जाने के लिए कहा। फिर जब मैंने दिल्ली के भरोसेमंद सूत्रों से इस मामले की तहकीकात करने को कहा तो पता चला कि सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई के खिलाफ एक बड़ी साजिश रची जा रही है ताकि वह इस्तीफा दे दें। जब मुझे अपने विश्वसनीय सूत्रों से इस बारे में यकीन हुआ तो मैं मुख्य न्यायाधीश के आवास पर उन्हें सचेत करने गया लेकिन वो घर पर मौजूद नहीं थे।
बैंस का कहना है कि मेरे सीडीआर टॉवर लोकेशन से इस बारे में ब्यौरा जुटाया जा सकता है। मेरे साथ जो हुआ उसमें मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी। और फैसला लिया कि इस साजिश को सबके सामने लाना चाहिए।
न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता भी पीठ में शामिल थे। मामले की 'न्यायपालिका की स्वतंत्रता से जुड़े अति महत्वपूर्ण' विषय के तौर पर सुनवाई की जा रही है। वकील ने सोमवार को शपथपत्र दायर किया था। इससे पहले शनिवार को अप्रत्याशित सुनवाई हुई थी, जिसमें प्रधान न्यायाधीश ने कहा था कि इन आरोपों के पीछे एक बड़ा षड्यंत्र है।