सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीरReuters

अगर आप अलीबाबा, क्लब फैक्ट्री, अलीएक्सप्रेस और शीन जैसी चाइनीज ई-कॉमर्स कंपनियों से खरीदारी करते हैं तो यह खबर आपके मतलब की है क्योंकि जल्द ही इन कंपनियों से की जाने वाली खरीददारी महंगी होने वाली है। जल्द ही ग्राहकों को इन कंपनियों से खरीददारी करने पर 50 फीसदी तक ज्यादा जीएसटी (उत्पाद एवं सेवा कर) और सीमा शुल्क का भुगतान करना पड़ सकता है।

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, कर विभाग ई-कॉमर्स वेबसाइट के जरिए उत्पादों के अवैध आयात को रोकने के लिए चाइनीज ई-कॉमर्स कंपनियों से खरीदे जाने वाले उत्पादों पर आईजीएसटी (एकीकृत उत्पाद एवं सेवा कर) और सीमा शुल्क लगाने की संभावनाएं तलाश रहा है। इस कदम को ईकॉमर्स वेबसाइटों के जरिए गुड्स के अवैध इंपोर्ट को रोकने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

इस मामले से सीधे तौर पर वाकिफ दो सूत्रों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि यह टैक्स चीन की ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइटों से खरीदारी करने वाले कन्ज्यूमर्स पर लगेगा। पिछले एक साल में कस्टम विभाग ने कई ऐसे शिपमेंट्स को जब्त किया है, जिन्हें गिफ्ट रूट के जरिए भारत लाया जा रहा था। भारतीय कानून के मुताबिक किसी देश से 5000 रुपये से कम के गिफ्ट मंगाने पर कस्टम ड्यूटी का भुगतान नहीं करना होता है।

चीन और दूसरे देशों की ईकॉमर्स वेबसाइट इस नियम का फायदा उठाते हुए इस रूट से बिना कस्टम ड्यूटी दिए अपने प्रॉडक्ट्स भारत भेज रही हैं। सूत्रों ने बताया कि क्लब फैक्ट्री, अलीएक्सप्रेस और शीन जैसे चीन के रिटेलर्स टैक्स विभाग के रडार पर हैं और इस कदम से उनका बिजनस प्रभावित होगा।

एक सूत्र ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'सरकार इस योजना में पेमेंट गेटवे को शामिल करने के बारे में सोच रही है। इससे जब कन्ज्यूमर भुगतान करेंगे तो कीमतों में आईजीएसटी और कस्टम ड्यूटी भी शामिल हो जाएंगे।' इकनॉमिक टाइम्स ने जिन लोगों से बात की, उन्होंने बताया कि सरकार ऐसा प्लैटफॉर्म बनाना चाहती है, जिससे पेमेंट गेटवे भी जुड़े हों। इससे कस्टमर जब भी ऑर्डर के लिए टैक्स का भुगतान करेंगे तो एक प्लैटफॉर्म से बारकोड मिलेगा, जिसका इस्तेमाल प्रॉडक्ट को भारत भेजने में किया जा सकता है।

सरकार अभी तक तय नहीं कर पाई है कि सिर्फ एक मिश्रित टैक्स लगाया जाए या उत्पादों की श्रेणी के हिसाब से अलग-अलग टैक्स। हालांकि, कानून के विशेषज्ञों का कहना है कि सभी श्रेणी के उत्पादों पर समान टैक्स लगाने से परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं।

चीन या दूसरे देशों की ई-कॉमर्स कंपनियों की वेबसाइट से भारतीयों की ओर से खरीदे उत्पाद को लाना अहम है, लेकिन इसके लिए एक समान टैक्स लगाने में कुछ तकनीक समस्याएं आ सकती हैं। साथ ही ध्यान रखना होगा कि टैक्स की प्रस्तावित ऊंची दर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के दिशानिर्देश का उल्लंघन न करती हो।