भारतीय सेना ने घटिया गोला-बारूद और युद्ध उपकरणों से फील्ड में बढ़ती दुर्घटनाओं पर चेतावनी दी है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक यह गोला-बारूद सरकार के स्वामित्व वाले ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड द्वारा टैंक, तोपों, एयर डिफेंस गन और अन्य युद्ध उपकरणों के लिए सप्लाई किया जाता है। इस संबंध में सेना ने रक्षा मंत्रालय से बात की है।
खबर में आगे बताया गया है कि सेना ने रक्षा मंत्रालय को बताया है कि घटिया क्वालिटी के गोला-बारूद की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं में सैनिकों की जानें जा रही हैं, सैनिक घायल हो रहे हैं और उपकरणों को नुकसान पहुंच रहा है।
इस रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड द्वारा सप्लाई किए गए गोला-बारूद के कारण बढ़ती दुर्घटनाओं के कारण सेना का भरोसा अपने रक्षा उपकरणों पर कम हो रहा है। सेना ने ऑर्डनेंस फैक्ट्री द्वारा गोला-बारूद के क्वॉलिटी में अपेक्षित ध्यान नहीं दिए जाने के संबंध में रक्षा उत्पादन सचिव अजय कुमार के समक्ष गंभीर चिंता जाहिर की है।
19 हजार करोड़ रुपयों के सालाना टर्नओवर वाले ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड के पास गोला-बारूद बनाने वाली कुल 41 फैक्ट्री हैं जो 12 लाख सैनिकों वाली भारतीय सेना को गोला-बारूद की सप्लाई करने वाला मुख्य स्रोत है। सूत्रों ने अखबार को बताया कि ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड के गोला-बारूद की क्वॉलिटी में गिरावट से देश की युद्ध क्षमताओं पर गहरा असर पड़ता है।
15 पेज के अपने पेपर में सेना ने बेहद गंभीर समस्याएं सामने रखी हैं जिनमे बताया गया है कि 105एमएम की इंडियन फील्ड गन, 105 एमएम लाइट फील्ड गन, 130 एमएम एमए1 मीडियम गन, 40 एमएम एल-70 एयर डिफेंस गन और टी-72, टी-90 और अर्जुन टैंक की तोपों के साथ नियमित तौर पर दुर्घटनाएं सामने आ रही हैं। इसके अलावा खराब क्वॉलिटी के गोला-बारूद के कुछ केस 155 एमएम की बोफोर्स तोपों के मामले में भी सामने आए हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक सूत्र के हवाले से लिखा है, "ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड इस समस्या को सुलझाने के प्रति गंभीर नहीं है जिसके कारण सेना ने अपने कुछ लॉन्ग रेंज के गोला-बारूद की फायरिंग रोक दी है।"