मध्य प्रदेश के भोपाल से बीजेपी की सांसद और मालेगांव विस्फोट की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने बुधवार, 27 नवंबर को लोकसभा में बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे को लेकर की गई अपनी विवादास्पद टिप्पणी के लिए शुक्रवार को सदन में दो बार माफी मांगी और कहा कि उन्होंने नाथूराम गोडसे को देशभक्त नहीं कहा था तथा उनकी बात को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है।
भोपाल से लोकसभा सदस्य प्रज्ञा सिंह ठाकुर की बुधवार को लोकसभा में की गयी टिप्पणी को लेकर उनसे बिना शर्त माफी मांगने की मांग करते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, बसपा, द्रमुक समेत विपक्षी दलों के सदस्यों ने शुक्रवार को सदन में भारी हंगामा किया। इससे पहले प्रज्ञा ने शून्यकाल के दौरान इस विषय पर सदन में माफी मांगी थी और साथ ही कहा कि उनके बयान को ''तोड़-मरोड़कर पेश किया गया''।
हालांकि प्रज्ञा के माफी वाले बयान पर विपक्षी दल संतुष्ट नहीं हुए तथा बिना शर्त माफी की मांग पर अड़े रहे। लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने इस विषय का समाधान निकालने के लिए भोजनावकाश में सभी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई थी। भोजनावकाश के बाद बैठक शुरू होने पर भाजपा सदस्य प्रज्ञा ने दोबारा बयान दिया।
उन्होंने कहा, ''मैंने 27 नवंबर को एसपीजी विधेयक पर चर्चा के दौरान नाथूराम गोडसे को देशभक्त नहीं कहा, नाम ही नहीं लिया, फिर भी किसी को ठेस पहुंचती हो तो मैं क्षमा चाहती हूं।'' इसके बाद सदन की बैठक सुचारू रूप से आगे बढ़ी और शून्यकाल को लिया गया ।
शून्यकाल में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सरकार के मन में महात्मा गांधी के बारे कितना सम्मान है, उसे पूरा देश जनता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी स्पष्ट कर चुके हैं कि गोडसे को देशभक्त बताना तो दूर, इस बारे में सोचना भी निंदाजनक है। ''उक्त सदस्य ने माफी मांग ली है और अब स्पीकर जो निर्देश देंगे, उसका पालन किया जायेगा।''
इससे पहले प्रज्ञा ने यह भी कहा कि देश के लिए महात्मा गांधी के सेवाकार्यों का वह सम्मान करती हैं। भोपाल से भाजपा सदस्य प्रज्ञा ने कहा, ''बीते घटनाक्रम में सबसे पहले मैं सदन में मेरे द्वारा की गयी किसी टिप्पणी से यदि किसी को भी किसी प्रकार की ठेस पहुंची हो तो खेद प्रकट कर क्षमा चाहती हूं।'' उन्होंने कहा कि संसद में दिये गये उनके बयानों को तोड़-मरोड़कर गलत ढंग से पेश किया गया जो निंदनीय है।
प्रज्ञा ने कहा, ''मेरे बयान का संदर्भ कुछ और था।'' उन्होंने यह भी कहा, ''इसी सदन के एक सदस्य ने सार्वजनिक तौर पर मुझे आतंकवादी कहा। मेरे साथ तत्कालीन सरकार द्वारा रचे गये षड्यंत्र के बावजूद अदालत में मेरे खिलाफ कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। बिना दोषी सिद्ध हुए मुझे आतंकवादी कहना कानून के खिलाफ है। कोई आरोप सिद्ध हुए बिना मुझे आतंकवादी बताना एक महिला के नाते, एक संन्यासी के नाते, एक सांसद के नाते मेरे सम्मान पर हमला करके अपमानित करने का प्रयास है।''
प्रज्ञा के बयान के बीच ही विपक्ष के सदस्य खड़े होकर विरोध जताने लगे। हालांकि भाजपा सदस्य विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी का विरोध करते देखे गए। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जिस तरह से सत्तारूढ़ पार्टी के लोग कर रहे हैं, उससे लगता है कि वह समर्थन कर रहें हो।
जब कांग्रेस सदस्य प्रज्ञा ठाकुर से बिना शर्त माफी मांगने की मांग करे रहे थे तब भाजपा सदस्य निशिकांत दूबे ने कहा कि राहुल गांधी ने कथित तौर पर एक वर्तमान सदस्य (प्रज्ञा सिंह ठाकुर) को आंतकी बताया। ऐसे में राहुल गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाना चाहिए।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि केवल यह देश ही नहीं, बल्कि पूरा विश्व गांधीजी के आदर्शों और विचारों का सम्मान करता है। इस विषय पर अब राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा ''मैंने पहले ही कहा था कि मेरी जिम्मेदारी है कि गांधीजी के बारे में कोई भी टिप्पणी रिकार्ड में नहीं जाए।''
बिरला ने कहा, ''गांधीजी की हत्या के मामले में सदन में, सदन के बाहर किसी को भी महिमामंडित करने की इजाजत नहीं है।'' संसदीय कार्य मंत्री जोशी ने कहा कि सदस्य (प्रज्ञा सिंह ठाकुर) ने स्पष्ट रूप से माफी मांग ली है, अब इस विषय पर चर्चा की जरूरत नहीं है। विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच उन्होंने कहा कि विपक्ष इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है।
गौरतलब है कि प्रज्ञा ने बुधवार को लोकसभा में एसपीजी संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान उस वक्त विवादित टिप्पणी की थी जब द्रमुक सदस्य ए राजा बोल रहे थे। प्रज्ञा की टिप्पणी को सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं किया गया था। कांग्रेस समेत विपक्षी सदस्यों ने बृहस्पतिवार को भी इस विषय को सदन में उठाया।
गौरतलब है कि प्रज्ञा के लोकसभा में दिए गए विवादित बयान को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरूवार को ट्वीट किया था, ''आतंकवादी प्रज्ञा ने आतंकवादी गोडसे को देशभक्त बताया। यह भारत के संसद के इतिहास का एक दुखद दिन है।''
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.