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सांकेतिक तस्वीरReuters file

दुनिया की सबसे सस्ती टेलिकॉम सेवाएं देने वाला भारत का दूरसंचार उद्योग आज की तारीख में भारी संकट के दौर से गुजर रहा है। संकट कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वोडाफोन के प्रबंधन ने साफ तौर पर कह दिया है कि अगर सरकार ने उसकी मदद नहीं की तो कंपनी पर ताला लगने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। दरअसल, टेलिकॉम इंडस्ट्री अरबों डॉलर के कर्ज में डूबी है और ऊपर से जियो द्वारा छेड़े गए प्राइस वॉर ने इसकी कमर तोड़कर रख दी है। हालत यह है कि लगातार घाटे के चलते कई कंपनियां इस सेक्टर से बाहर निकल चुकी हैं।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नॉन-कोर रेवेन्यू को भी कंपनियों के ग्रॉस अडजस्टेड रेवेन्यू में शामिल करने के आदेश से मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी जियो तथा पुरानी टेलिकॉम कंपनियों के बीच प्रतिद्वंद्विता और बढ़ गई है, हालांकि टैरिफ बढ़ाने तथा रेग्युलेटर द्वारा फ्लोर या न्यूनतम टैरिफ तय करने के लिए किए जा रहे हस्तक्षेप का दोनों पक्षों द्वारा समर्थन करने के संकेत मिले हैं।

सेल्यूलर ऑपरेटर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने कहा, 'हम सभी बुनियादी तौर पर मोबाइल कॉलिंग नेटवर्क से चल कर हाइब्रिड नेटवर्क (वॉयस एवं इंटरनेट डेटा) की ओर गए और अब जल्दी ही पूरी तरह डेटा नेटवर्क होने जा रहे हैं।' उन्होंने कहा कि अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए एक फ्लोर प्राइस की तत्काल जरूरत है।

साल 2019 में अमेरिका में 1 जीबी मोबाइल डेटा की कीमत 12.37 डॉलर और ब्रिटेन में 6.66 डॉलर रही, जबकि भारत में महज 0.26 डॉलर है, जिसके कारण यह दुनिया में सबसे सस्ता डेटा उपलब्ध कराने वाला देश बनकर उभरा है। साथ ही, यह दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला टेलिकॉम मार्केट है।

लेकिन साल 2016 में जियो के लॉन्च होने के बाद डेटा की कीमतें इतनी घट गईं कि पूरा सेक्टर खोखला हो गया। और जब 24 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका पर बकाये का भुगतान एजीआर (अडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) की नई परिभाषा के आधार पर करने का आदेश दिया तो देश की दूसरी सबसे बड़ी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड ने चेतावनी देते हुए साफ कर दिया कि अगर राहत नहीं मिली तो कंपनी बंद हो जाएगी। फिलहाल इंडस्ट्री पर 1.47 लाख करोड़ रुपये का बकाया है।

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सांकेतिक तस्वीरREUTERS/Rupak De Chowdhuri

समझने वाली बात यह है कि एक समय इस इंडस्ट्री में 7-8 कंपनियां होती थीं, जो घटकर तीन पर पहुंच गई और चौथी कंपनी सरकारी है। ऐसी स्थिति में वोडाफोन-आइडिया की चेतावनी ताबूत की आखिरी कील की तरह लगती है। प्राइस वॉर में एयरटेल तथा वोड-आइडिया को रेकॉर्ड घाटा हुआ, जबकि जियो का फायदा साल दर साल बढ़ता गया। दूरसंचार कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन सीओएआई चाहता है कि ट्राई (TRAI) मार्च से पहले जल्द से जल्द डेटा के लिए फ्लोर प्राइस लाए।

समायोजित सकल आय (एजीआर) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बकाया सांविधिक देनदारियों के लिए भारी खर्च के प्रावधान के चलते वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कुल मिलाकर करीब 74,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। इसमें वोडाफोन आइडिया ने पुरानी सांविधिक देनदारियों के लिए दूसरी तिमाही में ऊंचे प्रावधान के चलते 50,921 करोड़ रुपये और भारती एयरटेल ने इसी के चलते 23,045 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया है। सरकार ने निजी दूरसंचार कंपनियों को राहत देते हुए स्पेक्ट्रम भुगतान में दो साल की मोहलत दी है।

हालांकि, सरकारी दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए यह साल अच्छा रहा। सरकार ने दोनों कंपनियों के लिए 69,000 करोड़ रुपये के पुनरुद्धार पैकेज को मंजूरी दी है। बीएसएसनएल और एमटीएनएल ने आखिरी महीनों में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना पेश की। कुल मिलाकर करीब 92,700 कर्मचारियों ने इस योजना को चुना है। इससे इन्हें सालाना 8,800 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.