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क्या एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी अपने छोटे भाई अनिल अंबानी को कानून के लंबे हाथों से बचाने के लिए एक बार फिर कदम आगे बढ़ाएंगे? मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस बार छोटे अंबानी तीन चीनी बैंकरों के चलते कानूनी परेशानी में हैं, जो उन्हें $680 मिलियन का ऋण चुकाने में नाकाम रहने पर लंदन की एक अदालत में ले गए हैं।

छोटे अंबानी को लंदन के अदालत में घसीटने वाले बैंक, इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ़ चीन लिमिटेड, चाइना डेवलपमेंट बैंक और एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ऑफ़ चाइना हैं, जिनसे अनिल अंबानी की निष्क्रिय हो चुकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस ने 2012 में 925.2 मिलियन डॉलर का ऋण लिया था। आईसीबीसी के वकील बंकिम थांकी ने अदालत को बताया कि बैंकों ने इस नामचीन उद्योगपति से व्यक्तिगत गारंटी ली थी। इस टेल्को ने कुछ भुगतान किए लेकिन यह फरवरी 2017 में वह ऐसा करने से चूक गया।

संकटों से घिरे अनिल अंबानी, जो एक बार पहले भी अपने बड़े भाई के दखल के चलते जेल जाने से बच चुके हैं, का कहना है कि उन्होंने पर्सनल कंफर्ट लेटर देने की बात कही थी, लेकिन निजी संपत्ति को गारंटी बनाने की पेशकश कभी नहीं की।

अनिल अंबानी के वकील रॉबर्ट हॉव ने कहा, ''बैंकों ने लगातार अनिल अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन्स में अंतर नहीं करने की भूल करता रहा।''

इससे पूर्व रिलायंस कम्युनिकेशंस द्वारा एरिक्सन एबी की भारतीय इकाई को 550 करोड़ रुपये का भुगतान करने के अपने आदेश का पालन नहीं करने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने अनिल अंबानी को अवमानना के लिए जेल भेजने की बात कही थी।

मुकेश अंबानी, जिनकी 56 बिलियन डॉलर की संपत्ति उन्हें सबसे धनी एशियाई और दुनिया का 14वां सबसे अमीर व्यक्ति बनाती है, ने अनिल अंबानी की आखिरी बार मदद तब की थी जब सुप्रीम कोर्ट ने स्वीडिश टेलीकॉम उपकरण निर्माता एरिक्सन की बकाया राशि चुकाने में विफलता के चालते उन्हें जेल भेजने की धमकी दी थी।

अनिल अंबानी, जिनके पास एक समय में 45 बिलियन डॉलर की संपत्ति थी, ने हाल के वर्षों में अपने भाग्य को डांवांडोल होते हुए देखा है और अंततः वे अपने अरबपति के दर्जे से हाथ धो चुके हैं।

अनिल अंबानी रिलायंस कम्युनिकेशन्स के चेयरमैन हैं और उनका रिलायंस ग्रुप पिछले कुछ समय से कठिनाइयों के दौर से गुजर रहा है। ग्रुप पर कर्ज का बहुत बड़ा बोझ है, जिसकी वजह से वह परेशानी में है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर तक रिलायंस ग्रुप पर 13.2 अरब डॉलर (करीब 93 हजार करोड़ रुपये) का कर्ज है।

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रिलायंस कम्युनिकेशंस द्वारा एरिक्सन एबी की भारतीय इकाई को 550 करोड़ रुपये का भुगतान करने के अपने आदेश का पालन करने में विफल रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने अनिल अंबानी को जेल की धमकी दी थी। मुकेश अंबानी, जिनकी रिलायंस इंडस्ट्रीज पेट्रोकेमिकल से लेकर टेलीकॉम से लेकर फैशन रिटेल तक का एक व्यापारिक साम्राज्य है, को अंतिम समय में छोटे भाई स्थिति से उबारने के लिए मैदान में उतरना पड़ा था।

चीन के बैंकों की ओर से कोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक अनिल अंबानी 2011 में बीजिंग गए थे। उन्होंने आईसीबीसी के पूर्व चेयरमैन जिआंग जिआनक्विंग से कर्ज संबंधी बातचीत की थी। आईसीबीसी के वकील बंकिम थांकी का दावा है कि अनिल अंबानी की ओर से रिलायंस के कमर्शियल एवं ट्रेजरी हेड हसित शुक्ला ने निजी गारंटी पर दस्तखत किए थे। जबकि, दूसरे पक्ष के वकील हॉव का कहना है कि अंबानी ने अपनी ओर से शुक्ला को हस्ताक्षर का अधिकार नहीं दिया था। इस मामले में गुरुवार को हुई सुनवाई में आईसीबीसी के वकीलों ने कोर्ट से जल्द फैसला देने या फिर अनिल अंबानी को ब्याज समेत बकाया रकम चुकाने का सशर्त आदेश जारी करने की अपील की।

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