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देश की 17वीं लोकसभा को चुनने के लिए अगले आम चुनाव अप्रैल या मई के महीने में होने निश्चित हैं और ऐसे में चुनावों से ऐन पहले मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दस प्रतिशत आरक्षण देने का दांव चला है जिसे सवर्ण आरक्षण भी कहा जा रहा है। सरकार के इस कदम के बाद असल सवाल यह है कि आखिर सरकारी नौकरियां हैं कहां। साल-दर-साल सरकारी नौकरियों की संख्या घटती ही जा रही है, तो फिर इस आरक्षण का लाभ कैसे होगा।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक खबर के मुताबिक 2014 से लेकर अभी तक केंद्र सरकार की नौकरियों में 75 हजार की कमी आई है। ऐसे में 10 फीसदी आरक्षण का फायदा कैसे होगा? 2018-19 के केंद्रीय बजट में घोषित केंद्रीय कर्मचारियों की संख्या 1 मार्च 2014 की तुलना में 75,231 तक घट गई है।

2018-19 के बजट के अनुसार, रेलवे और रक्षा सेवाओं को छोड़ दिया जाए, तो 55 केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में 32.52 लाख कर्मचारी थे। जबकि 1 मार्च 2014 की तुलना में यह आंकड़ा 75,231 कम था। हर साल किए जाने वाले वादे की तरह, 2018-19 के लिए अनुमान लगाया गया कि यह आंकड़ा 35 लाख से अधिक होगा, जोकि बीते वर्ष के मुकाबले 2.50 लाख अधिक है।

पिछले चार सालों में सरकार हर साल लगभग 2 लाख की अतिरिक्त मैनपावर को काम पर रखने का अनुमान लगा रही है, जबकि केंद्रीय कर्मचारियों की वास्तविक संख्या में गिरावट आ रही है। इस कमी का एक प्रमुख कारण कर्मचारियों को ठेकेदारों (विशेष रूप से चपरासी और ड्राइवरों जैसे सहायक कर्मचारियों) के माध्यम से नियुक्त करने को प्राथमिकता दिया जाना भी हो सकता है।

सेवानिवृत्त कर्मचारियों को बदलने के लिए कई सालों से पदों पर कोई भर्ती नहीं की गई है। बल्कि कई मामलों में तो लोगों को सेवानिवृत्ति के बाद सलाहकार के रूप में फिर से नियुक्त कर लिया गया। इस मामले में रेलवे सबसे ज्यादा घाटे में रही है। रेलवे की मैनपावर (श्रमशक्ति) में काफी कमी आई है। 2017 में एक बड़ी छंटनी हुई, जिसमें 23 हजार कर्मचारियों को हटा दिया गया। इसके बाद 2016 की तुलना में यह आंकड़ा घटकर 13.08 लाख पर आ गया। हालांकि सरकार ने पिछले बजट में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने को लेकर किसी तरह का प्रजेक्शन नहीं दिया।

तो फिर यह 2.50 लाख से अधिक की अनुमानित अतिरिक्त मैनपावर कहां से आ रही है? सरकारी अनुमानों के अनुसार, यह वृद्धि ज्यादातर पुलिस बलों (केंद्रीय अर्धसैनिक) में होने वाली है। यह वृद्धि 10.24 लाख से 11.25 लाख तक होगी।

वहीं प्रत्यक्ष कर विभाग के कर्मचारियों की संख्या भी 45 हजार से बढ़कर 80 हजार हो जाने का अनुमान है। वहीं सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क में आंकड़ा 54 हजार से बढ़कर 93 हजार तक होने का अनुमान है। इस लिस्ट में अन्य विभाग भी शामिल हैं।