सरकार चाहती है कि कोविड-19 जैसे संकट के समय सोशल मीडिया कंपनियों को भ्रामक या गुमराह करने वाली सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए अधिक प्रयास करने की जरूरत है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी (मेइटी) मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह बात कही।
अधिकारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सोशल मीडिया कंपनियों को पिछले सप्ताह कहा गया कि वे गुमराह करने वाले संदेशों को अपने मंच से हटाएं, क्योंकि इससे सरकार कोविड-19 से निपटने के प्रयास प्रभावित हो सकते हैं। सोशल मीडिया कंपनियों से यह भी कहा गया है कि वे ऐसी सामग्री अपलोड करने वालों का ब्योरा संभाल कर रखें, जिससे जरूरत होने पर उसे प्रवर्तन एजेंसियों को सौंपा जा सके।
अधिकारी ने पीटीआई भाषा से कहा, ''हमने वॉयगर इन्फोसेक की रिपोर्ट देखी है। हम सोशल मीडिया कंपनियों के संपर्क में हैं। हमने उनसे ऐसी सभी सामग्री हटाने को कहा है कि जो मौजूदा परिदृश्य में समाज को नुकसान पहुंचाने वाली साबित हो सकती हैं।''
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आफ इंडिया (आईएएमएआई) ने सोशल मीडियाक कंपनियां का बचाव करते हुए कहा है कि सामग्री की जिम्मेदारी प्रयोगकर्ता की है और किसी भी सामग्री को तभी हटाया जा सकता है जबकि वह उपयुक्त कानूनी नोटिस के जरिये आए। अधिकारी ने कहा कि आईटी मंत्रालय ने सोशल मीडिया कंपनियों को अभी कोई कानूनी नोटिस नहीं भेजा है लेकिन वह इस तरह की सामग्री पर रोक के लिए उनके साथ लगातार सहयोग कर रहा है।
तथ्यों की जांच करने वाली आईटी कंपनी वॉयगर की एक रिपोर्ट के अनुसार सोशल पर डाले गए ज्यादातर वीडियो ऐसे हैं जो भारत में मुस्लिमों को प्रभावित कर सकते हैं। कंपनी ने पाया कि ये वीडियो देश और विदेश में शूट किए गए हैं।
इनमें ज्यादार को चीन के मोबाइल वीडियो एप टिकटॉक पर स्वास्थ्य से संबंधित परामर्श के खिलाफ धार्मिक भावना भड़काने और कोरोना वायरस के संबंध फर्जी सूचना का प्रसार करने की मंशा से डाला गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन वीडियो को आगे अन्य मंचों मसलन व्हॉट्सएप, ट्विटर और फेसबुक पर साझा किया गया है। यह रिपोर्ट भारत के साइबर अपराध संयोजन केंद्र को सौंपी गई है।
इनमें पांच दिन में 30,000 से अधिक वीडियो का विश्लेषण किया गया है। इसमें कहा गया है कि ऐसे ज्यादातर वीडियो पेशेवर वीडियो एडिटिंग सॉफ्टवेयर के जरिये तैयार किए गए हैं। सोशल मीडिया मंचों पर इनका प्रसार करने के बाद मूल खाते को हटा दिया गया है।
अधिकारी ने कहा, ''सोशल मीडिया मंच आपत्तिजनक वीडियो के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं और रिपोर्ट की जाने वाली सामग्री को हटा रहे हैं। वे आपस में सहयोग कर रहे हैं, लेकिन इस तरह की सामग्री को तेजी से हटाने के लिए बड़े स्तर पर सहयोग की जरूरत है।''
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.