कपड़ा मंत्रालय ने 18 मार्च को देश में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े पेशेवरों के लिए सुरक्षात्मक कपड़ो की उपलब्धता का आंकलन करने के लिए एक बैठक आयोजित की थी और इस बैठक के मिनट्स में विशेष रूप से देश में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण उपकरणों की कमी का उल्लेख किया गया था।
बैठक में कहा गया कि बॉडी कवरॉल और एन -95 मास्क कम पड़ रहे हैं और सुरक्षात्मक कपड़ों की आपूर्ति के साथ-साथ इसे बनाने के लिए आवश्यक सामग्री भी बढ़ती मांग की तुलना में कम हो रही है।
बैठक के मिनट्स उल्लेखित है कि एक विक्रेता को 1 मिलियन 3-प्लाई मास्क के लिए आदेश दिया गया था लेकिन अब तक आपूर्तिकर्ता ने केवल 200,000 मास्क ही उपलब्ध करवाए हैं और साथ ही उसने कीमतों में 266 प्रतिशत संशोधन की भी मांग की है।
एन -95 मास्क की आपूर्ति को नियंत्रित किया जाना है
कपड़ा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बेहतर नतीजों के लिए, एन -95 मास्क और बॉडी कवरऑल की आपूर्ति को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के जरिये नियंत्रित किया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार द्वारा 725,000 बॉडी कवर, 1.5 मिलियन एन -95 मास्क, और 1 मिलियन 3-प्लाई मास्क की खरीद के लिए के लिए निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) संबंधित सरकार की नोडल एजेंसी एचएलएल लाइफकेयर के माध्यम से निविदा मंगवाई गई थी।
लेकिन एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (Aimed) के फोरम कोर्डिनेटर राजीव नाथ ने कहा कि उद्योग को इस टेंडर के बारे में 21 मार्च को ही पता चल पाया।
एक गैर-सरकारी संगठन, ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क (AIDAN) ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है।
पत्र में कहा गया है, "हमारी मांग है कि एचपीएल को पीपीई के केंद्रीकृत खरीद के लिए नोडल एजेंसी के रूप में तुरंत हटा दिया जाए। स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों को बिना देरी के स्वतंत्र रूप से पीपीई की खरीद की अनुमति दी जानी चाहिए।"
कुछ विक्रेताओं ने सरकार को सूचित किया है कि उनके पास तैयार स्टॉक हैं जिसकी आपूर्ति अगले महीने की जा सकती है। मिनट्स में आगे लिखा है कि स्थानीय निर्माता वीनस प्रति दिन 50,000 एन -95 मास्क की आपूर्ति करेगा और एचएलएल द्वारा दिए गए आर्डर को पूरा करेगा।
फरवरी में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दुनिया भर की सरकारों से सुरक्षात्मक कपड़ों और मास्क के निर्माण को 40 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए कहा था। लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार ने डब्ल्यूएचओ के आह्वान पर ध्यान नहीं दिया।
प्रिवेंटिव वियर मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन संजीव रेहान ने कहा कि दूसरे देश भारत से मंगाकर माल को स्टॉक कर रहे थे और भारत सरकार 19 मार्च तक पीपीई उत्पादों और कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने को लेकर नींद में थी।
उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ने बार-बार सुरक्षात्मक गियर को स्टॉक करने की आवश्यकता को उठाया था जिसे नजरअंदाज कर दिया गया था। संघ द्वारा मुनाफाखोरी विरोधी उपायों का भी अनुरोध किया गया था लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय सरकार ने उनके अनुरोधों को एकदम से अनदेखा किया।
भारत सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दिशानिर्देश जारी करने के तीन सप्ताह बाद पीपीई की आपूर्ति में व्यवधान की आशंका के चलते दिशानिर्देश जारी करने के बाद घरेलू स्तर पर निर्मित पीपीई के निर्यात पर रोक लगाने संबंधी एक अधिसूचना जारी की।
रेहान ने कहा, "3 प्लाई फेस मास्क बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले घटकों की कीमत 250 रूपये किलोग्राम से बढ़कर 3,000 रूपये किलोग्राम हो गई है। इलास्टिक किसी भी कीमत पर उपलब्ध नहीं है। अब हम एक ऐसे संकट का सामना कर रहे हैं, जो हमारा खुद के खड़ा किया हुआ है।"