रवि शास्त्री
रवि शास्त्रीLINDSEY PARNABY/AFP/Getty Images

भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री ने कोविड-19 के खिलाफ देश की लड़ाई को बुधवार को सभी विश्व कप से बड़ी करार दिया।

भारत में कोरोना वायरस के कारण अब तक 350 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है जबकि 11 हजार से अधिक लोग इससे संक्रमित हुए हैं। इस घातक बीमारी के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने 21 दिन के लाकडाउन को तीन मई तक बढ़ा दिया है।

शास्त्री ने अपने ट्विटर अकाउंट पर वीडियो संदेश साझा करके लोगों से अपील की कि इस महामारी से लड़ाई में वे खेलों से सीखे सबक को लागू करें।

शास्त्री ने कहा, ''आज कोरोना वायरस ने हमें ऐसी स्थिति में डाल दिया है जहां यह हम पर हावी है। कोविड-19 से निपटना विश्व कप जीतने का प्रयास करने की तरह है, जहां आप अपना सब कुछ झोंककर इसे जीतने का प्रयास करते हो।''

उन्होंने कहा, ''हमारे सामने जो (कोविड-19) है वह कोई साधारण विश्व कप नहीं है, यह सभी विश्व कप से बड़ा है, जहां सिर्फ 11 लोग नहीं खेल रहे बल्कि एक अरब 40 करोड़ लोग मैदान पर हैं और प्रतिस्पर्धा पेश कर रहे हैं।''

शास्त्री ने कहा, ''साथियों चलो एक साथ मिलकर ऐसा करें। एक अरब 40 करोड़ लोगों की सेना उतरे और इस कोरोना वायरस को हरा दे और मानवता का विश्व कप जीत ले।''

शास्त्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि वह आगे बढ़कर चुनौती का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ''साथियों हम इस लड़ाई को जीत सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको कुछ सामान्य नियमों का पालन करना होगा। हमारे पास ऐसा प्रधानमंत्री है जो आगे बढ़कर चुनौती का सामना कर रहा है, वह सबसे आगे हैं।''

इस पूर्व भारतीय आलराउंडर ने कहा, ''आपको शीर्ष स्तर से आने वाले आदेशों का पालन करना होगा, फिर चाहे ये केंद्र सरकार से आएं, राज्य सरकार से या फिर अपनी जान को जोखिम में डालकर इस बीमारी से लड़ रहे लोगों की ओर से।''

उन्होंने कहा, ''दो आदेशों का पालन सबसे अधिक जरूरी है, घर पर रहना और सामाजिक दूरी बनाना। यह आसान नहीं होगा लेकिन मुकाबला जीतने के लिए आपको दर्द का सामना करना होगा और इस क्रम को तोड़ना होगा।''

कोरोना वायरस संक्रमण के कारण दुनिया भर में एक लाख 20 हजार से अधिक लोगों की जान गई है और लगभग 20 लाख लोग इससे संक्रमित हुए हैं। इसके कारण दुनिया भर में खेल प्रतियोगिताएं भी ठप्प पड़ी हैं।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.