देशभर की खचाखच भरी जेलों से हजारों कैदियों को अंतरिम जमानत या पेरोल पर रिहा किया जा रहा है। यह अभूतपूर्व कदम कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने और किसी भी तरह के संघर्ष से बचने के लिए उठाया गया है।
अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि कैदियों से ठसाठस भरी दिल्ली की तिहाड़ जेल से 1,500 कैदियों के दूसरे जत्थे को जल्द रिहा किया जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि एशिया के सबसे बड़े जेल परिसर से कुल 3,000 कैदियों को रिहा किए जाने की योजना है जिनमें से पहले चरण में 400 से अधिक कैदियों को रिहा किया गया है।
जेल महानिदेशालय की ओर से एक आधिकारिक बैठक के लिए उपलब्ध करवाए गए आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली की 16 जेलों की कुल क्षमता 10,026 कैदियों को रखने की है लेकिन इनमें 17,440 कैदी रखे गए हैं, इनमें से 14,355 विचाराधीन कैदी हैं। सर्वाधिक संख्या में कारावास तिहाड़ में हैं जबकि कुछ मंडोली और कुछ रोहिणी में हैं।
समीक्षा बैठक में बताया गया कि कैदियों में कोविड-19 का एक भी मामला सामने नहीं आया है और जेल परिसरों के कोने-कोने को नियमित रूप से सैनेटाइज तथा साफ किया जा रहा है क्योंकि कारावास संक्रमण के संभावित क्षेत्र हो सकते हैं।
उच्चतम न्यायालय ने 23 मार्च को सभी राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि कोरोना वायरस की महामारी के खतरे को देखते हुये जेलों में कैदियों की भीड़ कम करने और उन्हें पेरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने पर विचार करें जिन्हें सात साल तक की कैद हुयी है या सात साल तक की सजा के आरोप में विचाराधीन हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों का होना चिंता की बात है, खासकर इस महामारी के दौर में यह ज्यादा चिंता का विषय है। न्यायालय ने निर्देश दिया कि एक अन्य मामले में गठित विचाराधीन कैदी समीक्षा समिति की प्रत्येक सप्ताह बैठक होगी और वह संबंधित प्राधिकारियों के परामर्श से निर्णय लेगी।
न्यायालय ने सुझाव दिया है कि कोरोना संक्रमण के फैलने और इसके घातक नतीजों के खतरों को देखते हुये यह सुनिश्चत करना जरूरी है कि विचाराधीन कैदियों सहित सारे कैदियों के बीच यथासंभव पर्याप्त दूरी सुनिश्चित की जाये। जेल अधिकारियों ने कैदियों के परिजनों से मुलाकात पर भी रोक लगा रखी है, यह कदम भी एहतियाती तौर पर उठाया गया है।
जोधपुर में पिछले हफ्ते केंद्रीय कारागार के कैदी कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर रिहा करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर चले गए थे। जब जेल अधिकारियों ने कहा कि उनकी मांग पर विचार किया जाएगा तब जाकर उन्होंने शुक्रवार को हड़ताल खत्म की।
दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली समिति की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई जिसमें जेल नियमों में एक नया प्रावधान जोड़ते हुए करीब 1,500 विचाराधीन कैदियों को आठ हफ्ते की पेरोल देने की प्रक्रिया तेज करने का फैसला हुआ।
हालांकि समिति ने कहा कि मादक पदार्थों की तस्करी, बाल यौन उत्पीड़न, दुष्कर्म और एसिड हमले के मामलों के विचाराधीन कैदी और भ्रष्टाचार या धन शोधन के मामलों में आरोपी विदेशी नागरिकों तथा आतंकवाद, राष्ट्र विरोधी या गैर कानूनी गतिविधियों में जांच का सामना कर रहे लोगों के नाम पर अंतरिम जमानत के लिए विचार नहीं किया जाएगा।
उच्चतम न्यायालय में सोमवार को एक याचिका दायर की गयी है जिसमें केन्द्र और राज्यों को कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर देश की जेलों में बंद 50 साल से अधिक आयु के कैदियों को पेरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने पर विचार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका में उन कैदियों के मामलों पर भी विचार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप, श्वांस संबंधी समस्या या दूसरी खतरनाक जानलेवा बीमारियों से पीड़ित हैं।
अधिवक्ता अमित साहनी ने इस याचिका में कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोविड-19 का वृद्धजन और पहले से ही उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय और फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों पर ज्यादा गंभीर असर पड़ सकता है।
जोधपुर जेल में बंद 84 वर्षीय आसाराम को जमानत पर छोड़ने की भी मांग अदालत से की गई। जोधपुर की एक अदालत ने आसाराम को 2013 में एक नाबालिक से दुष्कर्म के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
भोपाल में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि करीब 8,000 कैदियों को रिहा करने की प्रक्रिया मध्य प्रदेश में शुरू हो गई है।
लखनऊ में जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की 71 जेलों में बंद 11,000 कैदियों को रिहा करने का फैसला किया।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.