कोरोना वायरस से उत्पन्न आपदा के बीच रिजर्व बैंक ने भी मोर्चो संभाला है। केन्द्रीय बैंक ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था में नकदी की तंगी दूर करने और कर्ज सस्ता करने के लिए अपने फैरी नकदी कर्ज पर ब्याज की दर रेपो और बैंकों आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर) में बड़ी कटौती जैसे कई उपायों की घोषणा की।
केंद्रीय बैंक ने देश व्यापी बंदी के चलते कर्ज की किस्त चुकाने में दिक्कतों को देखते हुये बैंकों को सावधिक कर्ज की वसूली में तीन माह टालने की सहूलियत दी है। इसके साथ कार्यशील पूंजी पर ब्याज भुगतान पर भी तीन माह के लिये रोक लगाने की अनुमति दी गयी है।
केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि उसके सीआरआर में कटौती और नकद धन का प्रवाह बढ़ाने के कुछ अन्य उपायों से बैंकिंग जगत में 3.74 लाख करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध होगी। रिजर्व बैंक ने लोगों को आश्वास्त किया है कि देश कि बैंक व्यवस्था मजबूत है, उनका निजी बैंकों में जमा धन पूरी तरह सुरक्षित है और लोगों को घबराकर पैसा निकालना नहीं चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिजर्व बैंक की सराहना करते हुए शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय बैंक ने कोरोना वायरस के संक्रमण से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये बड़े कदम उठाये हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ''इन घोषणाओं से बाजार में तरलता की स्थिति बेहतर होगी, कर्ज की ब्याज दरें कम होंगी तथा मध्यम वर्ग और कारोबारियों को मदद मिलेगी।''
Today @RBI has taken giant steps to safeguard our economy from the impact of the Coronavirus. The announcements will improve liquidity, reduce cost of funds, help middle class and businesses. https://t.co/pgYOUBQtNl
— Narendra Modi (@narendramodi) March 27, 2020
रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन चली द्विमासिक समीक्षा बैठक के बाद इन उपायों की घोषणा की। यह बैठक 24, 26 और 27 मार्च को हुई। इससे पहले यह बैठक अप्रैल की शुरुआत में होनी थी।
इससे एक दिन पहले ही वित्त मंत्रालय ने गरीबों, वंचितों, छोटे उद्योगों और बुजुर्गों तथा महिलाओं के लिये 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की जिसमें अगले तीन महीने तक गरीबों को राशन में पांच किलो गेहूं या चावल और एक किलो कोई भी दाल मुफ्त देने की घोषणा की गई। इसके अलावा जनधन खाता धारक महिलाओं को उनके खाते में तीन महीने में 1,500 रुपये नकद और जिन परिवारों को निशुल्क रसोई गैस दी गई उन्हें अगले तीन महीने एलपीजी सिलेंडर मुफ्त देने का वादा किया गया है।
रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 0.75 प्रतिशत घटाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया वहीं रिवर्स रेपो दर में 0.90 प्रतिश्त की कमी कर इसे 4 प्रतिशत पर ला दिया। रेपो दर वह दर होती है जिसपर केन्द्रीय बैंक अल्पावधि के लिये बैंकों को नकदी उपलब्ध कराता है, वहीं रिवर्स रेपो दर के जरिये वह बाजार से अतिरिक्त नकदी को सोखता है। मौद्रिक नीति समिति के चार सदस्यों ने रेपो दर में कटौती के पक्ष में जबकि दो ने विरोध मे मतदान किया।
बैंकों के पास अधिक नकदी उपलब्ध हो इसके लिये उनके नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को एक प्रतिशत घटाकर तीन प्रतिशत पर ला दिया गया। गवर्नर ने कहा कि सीआरआर में कटौती, रेपो दर आधारित नीलामी समेत अन्य कदम से बैंकों के पास कर्ज देने के लिए अतिरिक्त 3.74 लाख करोड़ रुपये के बराबर अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुये है। जरूरत पड़ने पर नकदी बढ़ाने के लिये हर संभव कदम उठाये जायेंगे। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रेपो दर में कमी से कोरोना वायरस महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि कच्चे तेल के दाम और मांग में कमी से मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति कम होगी। उन्होंने आगाह भी किया कि कोरोना वायरस महामारी के कारण अर्थव्यवस्था पर असर होगा और वैश्विक मंदी की आंशका बढ़ गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट कर रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा वित्तीय स्थिरता बनाये रखने के भरोसे की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा, ''रिजर्व बैंक गवर्नर के वित्तीय स्थिरता के लिये पुन: आश्वासन देने वाले शब्दों की वह सराहना करती है।'' सीतारमण ने वाणिज्यिक बैंकों से अपील की है कि वे रिजर्व बैंक की दरों में कमी का फायदा ग्राहकों तक शीघ्रता से पहुंचाएं। रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति ने अनिश्चित आर्थिक माहौल को देखते हुए अगले साल के लिये आर्थिक वृद्धि, मुद्रास्फीति के बारे में अनुमान नहीं जताया।
केन्द्रीय बैंक ने कर्ज देने वाले सभी वित्तीय संस्थानों को सावधि कर्ज की किस्तों की वसूली पर तीन महीने तक रोक की छूट दी साथ ही कार्यशील पूंजी पर ब्याज भुगतान को टाले जाने को चूक नहीं माना जाएगा, इससे कर्जदार की रेटिंग (क्रेडिट हिस्ट्री) पर भी असर नहीं पड़ेगा ऐसा उन्होंने आश्वासन दिया है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि देश की वृहद आर्थिक बुनियाद 2008 के वित्तीय बाजार संकट के मुकाबले इस समय मजबूत है।
उधर, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कैलेंडर वर्ष 2020 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अपने पहले के अनुमान को घटा कर 2.5 प्रतिशत कर दिया है। पहले उसने इसके 5.3 प्रतिशत वृद्धि रहने का अनुमान जताया था। हालांकि 2019 की आर्थिक वृद्धि 5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.