Omar Abdullah
करीब आठ महीने के बाद हिरासत से बाहर आए उमर अब्दुल्लाTwitter / @ANI

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के समय हिरासत में लिए गए पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को रिहा होने के बाद कहा कि इस केंद्रशासित प्रदेश के भीतर एवं बाहर हिरासत में रखे गए लोगों की रिहाई के साथ ही हाईस्पीड मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल की जाए।

करीब आठ महीने के बाद हिरासत से बाहर आए उमर ने यह भी कहा कि उनके लिए यह एक अलग दुनिया है तथा फिलहाल कोरोना वायरस के संकट से लड़ाई पर ध्यान देने की जरूरत है और राजनीतिक घटनाक्रमों पर बाद में बात हो सकती है।

उन्होंने अपने आवास के बाहर संवाददाताओं से कहा, ''पिछले साल पांच अगस्त को जो हुआ और यहां के राजनीति एवं हालात पर विस्तार से बात करूंगा। परंतु पहले कोरोना से निपटने दीजिए। हमें खुद को, परिवार एवं दोस्तों को बचाना है।''

नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने कहा, ''मैं चाहता हूं कि राज्य के भीतर एवं बाहर हिरासत में रखे गए लोगों पर केंद्र दया दिखाए और उन्हें रिहा करे।''

उमर ने कहा कि कोरोना वायरस के संकट से पैदा हुए हालात के मद्देनजर पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सहित हिरासत में मौजूद सभी लोगों को रिहा किया जाना चाहिए। उनके मुताबिक पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद लोगों को बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ा, लेकिन फिलहाल इस बारे में बात करना ठीक नहीं है क्योंकि लोग कोरोना की वजह से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा, ''हमारे लोगों को बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ा। हमारे बच्चे कई महीनों तक स्कूल नहीं जा सके। दुकानदारों की महीनों से कमाई नहीं हुई। मैंने सोचा था कि इस बारे में बहुत सारी बातें करूंगा, लेकिन लगा कि हम एक बहुत बड़ी जंग लड़ रहे हैं। यह जिंदगी और मौत की जंग है।''

उमर ने सरकार से आग्रह किया कि जम्मू-कश्मीर में हाईस्पीड मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल की जाए। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे कोरोना वायरस के संकट से बचने के लिए सामाजिक मेलजोल से दूर रहें।

उमर ने कहा, ''करीब आठ महीनों के बाद मैंने अपने माता-पिता के साथ दोपहर का खाना खाया। मुझे इससे बेहतर खाना याद नहीं आ रहा।''

जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिए गए उमर को करीब आठ महीने बाद मंगलवार को रिहा किया गया। उनके पिता एवं पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को गत 13 मार्च को रिहा किया गया था।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.