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भारत के लिए एक विशाल वैश्विक जीत में, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस (आईसीजे) ने बुधवार को कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक जारी रखने का आदेश दिया और पाकिस्तान को वियना कन्वेंशन के अनुच्छेद 36 के उल्लंघन के लिए सजा पर पुनर्विचार करने के लिए कहा। भारत ने संयुक्त राष्ट्र की अदालत से मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए कहा था कि 2017 में जाधव को जासूसी के आरोप में पाकिस्तान द्वारा सुनाई गई मौत की सजा गलत है क्योंकि उसे पाकिस्तान द्वारा पारदर्शी तरीके से कानूनी सहायता न देते हुए राजनयिक सहायता से भी वंचित कर दिया गया था।

आईसीजे ने अपने आदेश में कहा कि भारत को कंसुलर ऐक्सेस न देकर पाकिस्तान ने वियना कन्वेंशन का उल्लंघन किया है। पाकिस्तान से कहा है कि वह जाधव को फांसी की सजा पर पुनर्विचार करे और उसकी समीक्षा करे। जाधव को सजा की समीक्षा तक उन्हें दी गई फांसी की सजा को निलंबित कर दिया गया है। पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जाधव को भारत की तरफ से कथित जासूसी करने और आतंकवाद में शामिल होने के लिए दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।

हालांकि, आईसीजे ने अपने आदेश में कहा कि भारत को कंसुलर ऐक्सेस न देकर पाकिस्तान ने वियना कन्वेंशन का उल्लंघन किया है। पाकिस्तान से कहा है कि वह जाधव को फांसी की सजा पर पुनर्विचार करे और उसकी समीक्षा करे। जाधव को सजा की समीक्षा तक उन्हें दी गई फांसी की सजा को निलंबित कर दिया गया है। पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जाधव को भारत की तरफ से कथित जासूसी करने और आतंकवाद में शामिल होने के लिए दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।

फैसला सुनाते हुए आईसीजे के प्रमुख अब्दुलकवी अहमद यूसुफ ने पाकिस्तान को 'कुलभूषण सुधीर जाधव की सजा पर पुनर्विचार और कारगर समीक्षा' का आदेश दिया। इससे पहले 21 फरवरी को आईसीजे ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसला सुरक्षित रखे जाने के करीब 5 महीने बाद जज यूसुफ की अगुआई वाली 15 सदस्यीय बेंच ने अपना फैसला सुनाया।

आईसीजे ने पाकिस्तान से कहा कि वह भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को दी गई मौत की सजा की समीक्षा करे और उस पर पुनर्विचार करे। इसका मतलब है कि जाधव की मौत की सजा पर आईसीजे ने मई 2017 जो रोक लगाई थी, वह जारी रहेगी।

इंटरनैशनल कोर्ट ने कहा कि जाधव को कंसुलर ऐक्सेस मिलनी चाहिए। पाकिस्तान ने वियना कन्वेंशन के आर्टिकल 36 (1) का उल्लंघन किया है। आईसीजे ने अपने फैसले में कहा कि पाकिस्तान ने भारत को कुलभूषण जाधव से मिलने नहीं दिया और न ही उनकी तरफ से कोर्ट में पक्ष रखने दिया। आईसीजे ने पाकिस्तान को आदेश दिया है कि वह जाधव तक भारत को कंसुलर ऐक्सेस दे। इसका मतलब है कि अब भारतीय उच्चायोग जाधव से मुलाकात कर सकेगा और उन्हें वकील और अन्य कानूनी सुविधाएं और सहायता दे पाएगा।

पाकिस्तान ने भारत की अपील के खिलाफ जो प्रमुख आपत्तियां उठाई थी, उसमें एक आपत्ति यह थी कि आईसीजे में भारत का आवेदन स्वीकार करने योग्य ही नहीं है। आईसीजे ने भारत के पक्ष में 15-1 से फैसला सुनाते हुए पाक की इस आपत्ति को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि भारत का आवेदन स्वीकार करने योग्य है। इस पक्ष में आईसीजे के प्रेजिडेंट यूसुफ, वाइस-प्रेजिडेंट जु और जज टोमका, अब्राहम, बेनौना, कैन्काडो त्रिनिदाद, डोनोघू, गाजा, सेबुटिंडे, भंडारी, रॉबिंसन, क्रॉफोर्ड, गेवोर्जियन, सलाम और इवास्वा ने फैसला सुनाया। इसके खिलाफ एक मात्र जज जिलानी ने अपनी राय रखी। वह एडहॉक जज हैं।

हालांकि, आईसीजे ने पाकिस्तानी सैन्य अदालत के फैसले को रद्द करने, जाधव की रिहाई और उन्हें सुरक्षित भारत पहुंचाने की नई दिल्ली की कई मांगों को खारिज कर दिया। फिर भी आईसीजे का यह फैसला भारत के लिए बड़ी जीत है और पाकिस्तान के लिए शर्मिंदगी का सबब है। कोर्ट ने भारत की अपील के खिलाफ पाकिस्तान की ज्यादातर आपत्तियों को सिरे से खारिज कर दिया। इससे उसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी किरकिरी हुई है।

बता दें कि पाकिस्तान ने 3 मार्च 2016 को दावा किया था कि उसने एक रिटायर भारतीय नेवी ऑफिसर को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया है। भारत ने पाकिस्तान के दावे को खारिज करते हुए कहा था कि इस्लामाबाद ने रिटायर्ड नेवी ऑफिसर कुलभूषण जाधव का ईरान से अपहरण किया, जहां वह रिटायरमेंट के बाद कारोबार के सिलसिले में थे।

इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में जाधव का मामला करीब 2 साल और 2 महीने तक चला। भारत 8 मई 2017 को आईसीजे पहुंचा था और पाकिस्तान पर वियना कन्वेंशन की शर्तों के 'घोर उल्लंघन' का आरोप लगाया था। भारत ने आईसीजे में कहा कि पाकिस्तान ने जाधव तक कंसुलर ऐक्सेस की नई दिल्ली की मांग को लगातार खारिज किया, जो वियना कन्वेंशन का उल्लंघन है।

भारत ने लगातार पाकिस्तान से यह मांग की कि वह वियना कन्वेंशन के तहत उसे जाधव तक राजनयिक पहुंच मुहैया कराए, लेकिन इस्लामाबाद ने बार-बार इस मांग को खारिज कर दिया। बाद में 2017 में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जाधव को जासूसी और आतंकवाद के आरोप में फांसी की सजा सुना दी। इस फैसले के खिलाफ 8 मई 2017 को भारत इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस पहुंचा। अगले दिन 9 मई 2017 को आईसीजे ने जाधव की फांसी की सजा पर अपने अंतिम फैसला आने तक रोक लगा दी।