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पाकिस्तान ने रविवार को घोषणा की है कि दो सितंबर को पाक की जेल में बंद भारतीय नागरिक व पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव को राजनयिक पहुंच मुहैया कराई जायेगी.

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा कि 49 साल के जाधव को ''राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन, अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) के फैसले और पाकिस्तान के कानूनों के अनुरूप'' राजनयिक पहुंच उपलब्ध कराई जा रही है.

दूसरी तरफ, भारत ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि काउंसलर एक्सेस बिना शर्त और बिना बाधा वाली होनी चाहिए. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि है कि वह पाक की तरफ से मिली पेशकश का अध्ययन करेगा.

एक अगस्त को पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा था कि फांसी की सजा का सामना कर रहे भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव को अगले दिन दूतावास मदद मुहैया कराई जाएगी. हालांकि, जाधव को दूतावास मदद की शर्तों पर दोनों देशों के बीच मतभेदों की वजह से दो अगस्त को निर्धारित बैठक नहीं हो पाई थी.

बैठक के न होने के बाद से पाकिस्तान के इरादों पर सवाल उठने लगे थे. जिसके कुछ समय बाद पाकिस्तान ने दावा किया था कि कुलभूषण जाधव को दूतावास मदद की इजाजत देने के वह वादे के करीब छह हफ्ते बाद इस्लामाबाद ने कहा था कि इस मुद्दे पर वह भारत से संपर्क में है.

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भारत ने गुरुवार को कहा था कि उसने पाकिस्तान से कुलभूषण जाधव तक तत्काल, प्रभावी और अबाधित राजनयिक पहुंच देने को कहा है और राजनयिक माध्यमों से पड़ोसी देश से संपर्क में है.

जुलाई में हेग स्थित अदालत ने पाकिस्तान को भारत को बिना किसी देरी के जाधव तक राजनयिक पहुंच देने का आदेश दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने पत्रकारों से कहा था कि हम राजनयिक माध्यमों से पाकिस्तानी पक्ष के संपर्क में है. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश के आधार पर, हमने तत्काल, प्रभावी और अबाधित राजनयिक पहुंच देने को कहा. उन्होंने कहा, 'देखते हैं कि पाकिस्तान के पक्ष से हमें कैसी प्रतिक्रिया मिलती है.'

भारतीय नौसेना के 49 साल के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव को पाकिस्तान की एक फौजी अदालत ने 'जासूसी और आतंकवाद' के इल्ज़ाम में अप्रैल 2017 में मौत की सज़ा सुनाई थी. भारत का कहना है कि जाधव का ईरान से अपहरण किया गया था जहां वह नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद व्यापारिक उद्देश्य से गये थे और उन पर गलत आरोप लगाये गये हैं. इसके बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रुख किया था.

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।